मस्तमौला, बेबाक,
बेहिसाब सी होना चाहती हूं,
मैं फिर एक बार
किसी को चाहना चाहती हूं ,
कौन कहता है कि
मोहब्बत दोबारा नहीं होती,
मैं फिर एक बार प्यार की
झूठी कसमें खाना चाहती हूं,
ये मेरी दूजी मोहब्बत है
ये याद रखना,
मुझ पर ज्यादा वफाओं
का बोझ ना रखना,
मैं झूठे वादे-कसमों का
दावा न कर पाऊंगी,
मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और तुम्हारी
रहूंगी ये वादा ना कर पाऊंगी,
मेरे किरदार पर तुम कभी शक ना करना,
मुझे बेइंतहा बेहिसाब
चाहने की गलती ना करना,
बीच मझधार में छोड़ ना
जाना यह वादा ना लूंगी,
साथ उम्र भर जीने
मरने का वादा ना दूंगी,
ग़र मोहब्बत पे एतवार ना हो
तो मुझसे मोहब्बत ना करना,
नही तो किसी मोड़ किसी राह
पर तड़पता हुआ छोड़ दूंगी
- चंद्र प्रभा
No comments:
Post a Comment