साहित्य चक्र

07 May 2023

चुनाव में मात्र 10 महीने, आखिर कब होगी 'विपक्षी एकता'

आम चुनाव में अब मात्र दस माह बचे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर विपक्षी एकता कब होगी ? विपक्षी पार्टियां जिस तरीके से बिखरी नजर आ रही हैं, उसे देख कर ऐसा लगता है कि ये सभी राजनीतिक पार्टियां एक मंच के नीचे आना ही नहीं चाहती है। आज विपक्ष में खड़ी सभी राजनीतिक पार्टियां सत्ता पक्ष के अत्याचार से प्रताड़ित है। कहीं सीबीआई के छापे पड़ रहे हैं, तो कहीं ईडी का नोटिस मिल रहा है। फिर भी विपक्षी पार्टियां एक साथ खड़ी होने के लिए तैयार नहीं है।




क्या मान लिया जाए विपक्षी पार्टियों ने चुनावी मैदान में कूदने से पहले ही हार मान ली ? अगर ऐसा है तो फिर 2024 के बाद इन पार्टियों का अस्तित्व जिंदा रहेगा! क्योंकि जिस तरीके से बीजेपी बदले की भावना से राजनीतिक कार्रवाई कर रही है, वह साफ बताता है कि 2024 चुनाव जीतने के बाद बीजेपी विपक्ष को पूरी तरह खत्म कर देना चाहती है। 

'ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी' यह मुहावरा बीजेपी की तानाशाही को देखकर विपक्ष के लिए सटीक बैठती है। 2014 से पहले भारतीय मीडिया सत्ता पक्ष से सवाल पूछा करता था, मगर वर्तमान में भारतीय मीडिया सत्तापक्ष के साथ झूला झूल रहा है। इतना ही नहीं बल्कि कभी-कभी तो बिरियानी और आम चूसो पार्टी भी कर लेता है। भारतीय लोकतंत्र में आज विपक्ष एक मुर्दा लाश बन गया है। ना उसके साथ कोई चलने को तैयार है, ना ही कोई उसे जगाने का प्रयास कर रहा है। विपक्षी पार्टियां सिर्फ अपने अस्तित्व को एक दूसरे से लड़कर धीरे-धीरे खत्म कर रही है।

उत्तर से दक्षिण तक समस्त विपक्ष बिखरा हुआ है। विपक्ष के नेताओं का अपनी पार्टी छोड़ सत्ता पक्ष के साथ जाना अब आम बात हो गई है। सत्ता पक्ष ने विपक्ष के हर उस नेता को परेशान किया हैं, जो सत्ता पक्ष के खिलाफ जनता की आवाज़ उठाता है। और तो और अगर कोई पत्रकार या आम नागरिक सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी विपक्षी दल एक मंच पर नहीं आ पा रहे हैं। 

जनता महंगाई, बेरोजगारी, सामाजिक मतभेद, सांप्रदायिक हिंसा और कट्टरता से जूझ रही है। सरकार में बैठे फकीर सरकारी संपत्तियों को बेच कर अपने मित्रों को बांट रहे हैं और इन सब मुद्दों पर सारा विपक्ष चुप्पी साधा हुआ है। पिछले 9 सालों में विपक्ष ने जनता के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ कोई भी बड़ा आन्दोलन नहीं किया है। क्या सच में 2024 आम चुनाव में विपक्षी पार्टियां सत्ता पक्ष के खिलाफ मजबूती से लड़ना चाहती हैं ? विपक्षी पार्टियों की वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष के सामने खड़ा होना ही नहीं चाहता है। विपक्ष का कोई भी नेता अपने अहंकार और स्वार्थ को छोड़ना ही नहीं चाहता है। बिना स्वार्थ और अंहकार को छोड़े विपक्षी एकता असंभव लगती है। 

अगर सच में विपक्षी पार्टियों को भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करनी है, तो जितनी जल्दी हो सके आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी करनी चाहिए। सभी विपक्षी दलों को एक छतरी के नीचे आकर मजबूती से जनता का विश्वास जीतने की कोशिश करनी चाहिए। तभी देश की आम जनता विपक्षी गठबंधन पर भरोसा कर पाएगी।


                                                         - दीपक कोहली


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