ये मेरे वतन के लोगों सुनों
मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी....
जो मिट गया भारत माता पर
क्या इसलिए ही थी उसकी जवानी....
अपनी माँ के दिल का था वो राजा....
देखों कैसे फिर उसके तन पर तिरंगा सजा....
तोड़ दी सारी हदें उसनें वतन को चाहने की....
नहीं बचीं थी कोई भी जगह गोली खाने की....
टूटी होगी चूडियाँ, तो टूटने दो ना....
रूठी होगी बहना, तो रूठने दो ना....
उन आंसुओं की ममता में मुझे बहनें देना....
पिता जो कहें मेरा तो मुझे वही रहने देना....
ये मेरे वतन के लोगों सुनों
आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी....
रक्त बड़ा ईमानदार था उसका
नही था उसमें जरा भी पानी.....
बन के मुस्कान मैं तेरी ये प्रिये,
तेरे होंठो पर हरदम रहूँगा.....
तुम मुझे पुकार लेना अपने नैनों से
मैं तुम्हारी आवाज बन जाऊंगा....
देखों कैसी बोली वह वीर बोल गया....
अपना सारा दर्द वह मिट्टी में घोल गया....
बहुत शांत था गगन सारा, थी सहमी हुई धरती....
चल अब उठ भी जा ये वीर, तुझे तेरी माँ है पुकारती....
ये मेरे वतन के लोगों सुनों
आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी....
वह जीता था वतन के लिए
थी वतन के लिए ही उसकी जवानी....
आरती सुधाकर सिरसाट
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