साहित्य चक्र

30 January 2023

कविताः आया बसंत




हर तरफ छाया है बसंत की खुमार,
चारों ओर फैला है खुशियों का वातावरण, 
जाड़े से गर्मी की और प्रकृति जा रही हैं,
हर तरफ सरसों का पीला वातावरण है,
मानो धरती माँ ने धानी चुनर ओढ़ रखी है,
बागों में चिड़िया चहक रही हैं,
आम की बोर की खुशबु चारो ओर बिखरी है,
 कलियों  ने भी आखे खोली ,
नई उमंग के साथ प्रकृति इठलाते,
सूरज ने भी गर्मी दे दी ,
हर जगह लाल पीले फूलो की चादर 
बिछी हुई  लगती है ,
मौसम भी मजे ले रहा है, 
हर तरफ उजाला हो रहा है, 
बसंत के मौसम में हर कोई, 
प्रक्रति में खो जाना चाहता है,   
हर कोई उल्लासित है, 
बसंत के मौसम में ,
चारो ओर धुन्ध हट रही हैं,
वैसे ही सबके दिलों से ,
नफरत की धुन्ध हट जाए,
सबके दिलों में प्यार की बरसात हो,
बसंत आया मदमस्त समा लाया।

                                     - गरिमा लखनवी


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