साहित्य चक्र

01 January 2023

नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो




स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा 
खुलेगा अब खुशियों का पिटारा
होंगे दूर अवसाद अब सारे
होगा खुशमय अब भारत सारा।

थे जिनसे छूटे कुछ उनके अपने
जीवन था उनका लगभग सम तपने 
नव वर्ष की पावन बेला में
होंगे उनके भी अब पूरे सपने।

बेरोजगारी से जो हुए बेहाल
उनको राहत देगा यह साल
सीख वो आजीवन रखें हम याद
देकर गया बीता जो काल।

सुख वैभव बरसे चहुं ओर
हर्ष का रहे न कोई ठौर
मानव मूल्यों को समझें हम सारे
सुखद हो आने वाली हर भोर।

गैरों को भी अपनाएं हम
जो रूठे उन्हें मनाएं हम
खुशियां ही खुशियां हों दामन में सबके
न शेष रहे जग में इक भी गम।

नूतन वर्ष का अभिनंदन न्यारा
खिला खिला हो ये जग सारा
जी भर जीना है जीवन को
इस नव वर्ष यही प्रण हमारा।


                              - पिंकी सिंघल, दिल्ली


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