एक तरफ भूखमरी तो दूसरी ओर महंगी दावतों और धनाढ्य वर्ग की विलासिताओं के अम्बार, बड़ी-बड़ी दावतों में जूठन की बहुतायत मानवीयता पर एक बदनुमा दाग है। इस तरह व्यर्थ होने वाले भोजन पर अंकुश लगाया जाए, विज्ञापन कंपनियों को भी दिशा निर्देश दिए जाएं, होटलों और शैक्षिक संस्थानों, दफ्तरों, कैंटिनों, बैठकों, शादी और अन्य समारोहों और अन्य संस्थाओं में खाना बेकार न किया जाए। इस भोजन का हम अपने समाज की बदहाली, भूखमरी और कुपोषण से छुटकारे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सरकार के भरोसे ही नहीं, बल्कि जन-जागृति के माध्यम से ऐसा माहौल बनाना चाहिए।
भारतीय संस्कृति पूरे विश्व के लिए मिसाल है। यहां सदियों से अन्न को ब्रह्म माना जाता रहा है। मगर आज आधुनिकता के दौर में लोग इतने अंधे होते जा हैं कि अन्न को पूजने के बजाय थाली में भोजन छोड़ना एक फैशन मानने लगे हैं। शायद इन लोगों को भोजन के अभाव में भूखे मरने वालों की जानकारी नहीं है। भोजन की बर्बादी से न केवल सरकार, बल्कि सामाजिक संगठन भी चिंतित हैं। दुनिया भर में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है, उसका एक तिहाई यानी लगभग एक अरब तीस करोड़ टन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे दो अरब लोगों के खाने की जरूरत पूरी हो सकती है।
"व्यक्तिगत हित के लिए न करें ऐसा कोई काम,
कि अन्न की कमी हो जाये और भूखा रहे इंसान।"
भोजन, आहार या खाद्य पदार्थ इसको हम चाहें कितने भी अलग-अलग नामों से पुकार लें,इससे इसकी हमारे जीवन में अहमियत जरा भी कम नहीं होती, क्योंकि भोजन और आहार से ही हमें अपने दैनिक जीवन के कार्यों को करने की शक्ति,ऊर्जा मिलती है। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में लोग एक साल में लगभग 1.3 बिलियन टन के बराबर भोजन को बर्बाद कर देते हैं, जो दुनिया में पैदा होने वाले कुल खाद्य पादर्थों का एक तिहाई आंकड़े के बराबर होता है। जहां एक तरफ दुनिया में भुखमरी धीरे धीरे अपना विकराल रूप ले रही हैं। वहीं दूसरी तरफ भोजन की बर्बादी का इतने बड़े स्तर पर होना एक भयानक समस्या बनती जा रही है। भोजन की अत्याधिक बर्बादी जलवायु परिवर्तन में भी एक अहम भूमिका निभा रही है,क्योंकि बर्बाद भोजन को जब धरती पर बिखेरा जाता है तो उससे मीथेन गैस बनती है।
अगर आप भी खाने या भोजन की बर्बादी करते हैं तो आपको बता दें कि आप अपनी मेहनत से कमाए गए करोड़ों रूपयों को खुद ही अपनी लापरवाही से बर्बाद कर देते हैं। हम आज आपको कुछ आसान कुछ छोटे छोटे उपाय बता रहे हैं जिससे आप भोजन की बर्बादी के साथ-साथ अपनी मेहनत की कमाई को कुछ हद तक बचाया जा सकता हैं।
भोजन की बर्बादी रोकने के उपाय
1. समझदारी से खरीदें :-
जब भी आप खाने की चीजों की खरीददारी करने जाएं, तो कोशिश करे कि वही चीजें खरीदें जो लंबे समय तक ताजी रह सकें। इससे आप बेवजह की फिजूलखर्ची से भी बच जाएगें।
2. खाद्य पदार्थों को सही से रख सके:-
भोजन की सबसे ज्यादा बर्बादी उसका सही से भंडारण न करने से होती है। आलू, टमाटर,खीरा, प्याज, लहसुन आदि खाद्य पदार्थों को कभी भी ठंडा न करें, इन्हें हमेशा खुली और सूखी जगह पर ही रखें।
3. एक्सपायरी डेट को जरूर देखें :-
आजकल लोग समय की कमी वजह से लोग डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों को खरीद लेते हैं जो कुछ समय के ही बाद खराब हो जाते हैं। ऐसे में हमेशा कोशिश करें कि जब भी आप डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ खरीदें, तो सबसे पहले उसकी एक्सपायरी डेट जरूर देख लें। इससे आप जहां खराब खाना खाने और बीमार होने से बच जायेगें, साथ ही आप अपने पैसों और भोजन को बर्बाद होने से रोक पायेगें।
4. समय समय पर फ्रिज की करें सफाई :-
आमतौर पर सबको फ्रेश और हेल्दी फूड देखने और खाने में सबसे पहले पसंद आता है, लेकिन अगर वो ही फल और सब्जियां थोड़ा सा भी बदरंग हो जाती है,तो वो घरेलू कचरा बन जाती है। ऐसे में अगर आप भोजन की बर्बादी को रोकना चाहती हैं,तो समय समय पर फ्रिज की सफाई करती रहें।
क्योंकि इससे आपके फ्रिज में सड़ा और पुराना भोजन ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा। इससे जहां आप अपने फ्रिज को साफ और हाईजिनिक रख पायेगीं, वहीं पुराना और बासी खाना खाने से होने वाली बीमारियों से खुद को बचा पायेगीं।
5. घर में बनाएं कंपोस्ट खाद:-
अगर आपके घर में भी भोजन बर्बाद होता है तो आप उसे कचरे में न फेंक कर एक बड़े प्लासिट्क कंटेनर में स्टोर कर, घर में ही खुद कंपोस्ट खाद बनाएं और अपने बगीचे में उस खाद का प्रयोग करें। इससे आप जहां घरेलू कचरे को फैलाने से बच सकेगें, साथ ही घर के गार्डन के लिए कुछ ही प्रयास में होममेड कंपोस्ट खाद बना सकेगें।
6 .प्लेट में जरूरत से ज्यादा न परोसें:-
खाना खाते वक्त हमेशा प्लेट में उतना ही खाना परोंसे, जितना आप खा सकें। कभी भी प्लेट में भूख से ज्यादा खाना नहीं परोसना चाहिए।
विश्व खाद्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व का हर सातवां व्यक्ति हर दिन भूखा सोता है। भारत में यह आंकड़ा हर पांचवें व्यक्ति पर स्थिर है। अगर इस अन्न बर्बादी को रोका जा सके तो बहुत सारे लोगों का पेट भरा जा सकता है। समाज के साथ साथ सरकार को ‘भोजन बचाओ भूखों को खिलाओ जैसे अन्य जागरूकता अभियान के तहत भोजन के प्रति लोगों को जागरूक करते रहने की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में देश को किसी बड़े भुखमरी जैसे आपदा का सामना न करना पड़े। खाने की बर्बादी रोकने की दिशा में ‘निज पर शासन, फिर अनुशासन’ एवं ‘संयम ही जीवन है’ जैसे उद्घोष को जीवनशैली से जोड़ना होगा।
समाज में फिजुलखर्ची, वैभव प्रदर्शन एवं दिखावे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने एवं भोजन केेे आइटमों को सीमित करने के लिये आन्दोलन चल रहे हैं, जिनका भोजन की बर्बादी को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। सरकार को भी शादियों में मेहमानों की संख्या के साथ ही परोसे जाने वाले व्यंजनों की संख्या सीमित करने पर विचार करना चाहिए। दिखावा, प्रदर्शन और फिजूलखर्च पर प्रतिबंध लगाना चाहिए,लेकिन यह सख्ती से लागू नहीं होता, जिसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है। स्वयंसेवी संगठनों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
लेखिका- डॉ. सारिका ठाकुर 'जागृति'
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