साहित्य चक्र

17 October 2022

कविताः भावनाओं को व्यक्त



क्यों होते हैं हम स्वयं के साथ सख्त,
चलो करें, अपनी भावनाओं को व्यक्त,
चिकित्सक भी होता है कभी बीमार,
उसको भी जरूरत पड़ता है एक चिकित्सक

हां हम सभी को है हक,
तो किस बात का है मन में शक,
एक बालक की तरह कर दे सब बयां,
स्वयं पर और अपनों पर भी भरोसा रख

चल स्वयं को हृदय से परख,
जन्नत सी जिंदगी को क्यों बनाए नरक,
समझदारी में अपनी मासूमियत कहीं ना खोदे,
ना रहे, स्वयं के अंदर कोई कसक

क्यों होते हैं हम स्वयं के साथ सख्त,
चलो करें, अपनी भावनाओं को व्यक्त,
चिकित्सक भी होता है कभी बीमार,
उसको भी जरूरत पड़ता है एक चिकित्सक

लेखक- डॉ. माध्वी बोरसे


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