साहित्य चक्र

17 October 2022

कविताः मृत्युभोज


मृत्यभोज बहिष्कार का 
निमंत्रण मिला,
उसमें लिखा था कि 
आइये आप मृतक को 
सच्ची श्रद्धांजलि दीजिये, 
कार्ड में विचार पेश करने के लिये 
बड़े समाजसेवी का नाम छपा था! 
वैसे आज के समय में पढ़े-लिखे लोग 
मृत्यभोज जैसे कार्यक्रम से कतरा रहे हैं! 
फिलहाल कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया
श्रद्धांजलि का कार्यक्रम कम और 
राजनीति भाषण वाले विचार ज्यादा चल रहा था! 
भोजन के फिजूल खर्च और कुरीतियों 
पर जमकर वार किया जा रहा था.
खुशी हुआ चलो अच्छा 
मृत्यभोज जैसा कुप्रथा बंद हो
अच्छा होगा! 
कार्यक्रम जैसे समाप्त हुआ, 
तभी मृतक का भतीजा मेरे पास आकर बोला
"सर आप बिना नाश्ता किये मत जाना
पीछे टेंट में नाश्ता की व्यवस्था हैं.
देखा मृत्यभोज बहिष्कार वाले 
लोग पेट दबाकर नाश्ता कर रहे थे!

                                      लेखक- अभिषेक राज शर्मा


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