तुमसे मिलने आई थी ,
कहनी थी तुमसे एक बात ,
तुमको देख कर भूल गई ,
तुम्हें देखती रह गई सारी रात ,
बात अधूरी रह गई।
दिल का क्या सुनाऊँ तुम्हें हाल
तेरे सिवाय ना आए कोई ख्याल
मन की बात , मेरे मन में रह गई ,
वह बात अधूरी रह गई।
संदेश तुम तक कैसे पहचाऊँ ,
तुम बिन कहीं अच्छा लगता नहीं ,
फोन , मैसेज करके भी पूरी ना होगी बात,
तुमसे मिलना हमारा जरूरी हो गया,
मेरी बात अधूरी रह गई।
लेखिका- चेतनाप्रकाश चितेरी
No comments:
Post a Comment