साहित्य चक्र

17 October 2022

कविताः मेरी बात अधूरी रह गई





तुमसे मिलने आई थी ,
कहनी थी तुमसे एक बात ,
तुमको देख कर भूल गई ,
तुम्हें देखती रह गई सारी रात ,
बात अधूरी रह गई।

दिल का क्या सुनाऊँ तुम्हें हाल
तेरे सिवाय ना आए कोई ख्याल
मन की बात , मेरे मन में रह गई ,
वह बात अधूरी रह गई।

संदेश तुम तक कैसे पहचाऊँ ,
तुम बिन कहीं अच्छा लगता नहीं ,
फोन , मैसेज करके भी पूरी ना होगी बात,
तुमसे मिलना हमारा जरूरी हो गया,
मेरी बात अधूरी रह गई।


लेखिका- चेतनाप्रकाश चितेरी

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