साहित्य चक्र

17 October 2022

कविताः बुराई हटाओ





रास्ते में पड़ा पत्थर
राहगीर के ठोकर
लगने से पहले
उठा कर हटाओ।

मवाद पड़े फोड़े को
ज्यादा फैले उससे पहले 
ऑपरेशन कर 
हटाओ।

गर रहबर
बेखबर हो तो 
ऐसे रहबर को भी
मिल कर हटाओ।

राह में 
कांटे हों तो
उन काँटों को
देखते ही हटाओ।

दोस्तों , देश में
जो लोग भी
नफरत फैलाने वाले हों
उन्हें जड़ से हटाओ।

कोई भी बुराई
कहीं भी हो
उस बुराई को ,पनपने से पहले 
मिल कर हटाओ।

दो बुराइयां हैं 
इन बुराइयों में 
जो ज्यादा खराब हो
उसे पहले हटाओ।

आओ, अपने-अपने
गिरेबां में झाँको 
तन-मन की
बुराई को भी हटाओ।


मईनुदीन कोहरी

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