मेरी माया नगरी
सुनहरे सपनो की मैंने
एक ऊंची उड़ान भरी
जा पहुंची मैं उस लोक में
नाम है जिसका माया नगरी
शहर बसाया वहाँ पर मैंने
सुंदर रुपहले सपनों का
रहते हो हम नील गगन में
साथ ज़मीं पर हो अपनों का
यथार्थ से करें डटकर मुकाबला
न हो कोई भी तन्हा
खुशननुमा हो प्रत्येक प्राणी के
जीवन हर एक लम्हा
कभी न धुंधले हो
ख्वाबों के चित्र प्यारे प्यारे
सतरंगी हो जाएं सपने
आलोकित हो मन के अंधियारे
कोई भी न फंसे कभी भी
लोभ लालच के फेरे में
सारी कल्पनाएं साकार हो जाएं
हर मन के चितेरे में
एक घाट पर पानी पीते
सिंह अजा बड़े प्यार से
मीठी वाणी हो मंत्र सभी का
बैर रहे तीर तलवार से
सत्य बात कहने में न चूके
क्या राजा क्या रानी
सबका हक हो एक बराबर
नहीं चले किसी की मनमानी
राष्ट्र के सभी नेतागण
करें स्वच्छ स्वस्थ राजनीति
ईमानदारी हो व्यक्तित्व में
कदापि न पनपे विष बेल रूपी अनीति
षडयंत्र खुराफाती तत्व
सब जाएं कूड़ेदान में
रामराज्य का सपना सच हो
हमारे देश हिंदुस्तान में
ऐसी उज्ज्वल और मनभावन है
मेरी माया नगरी
प्यार,सौहार्द ,भाईचारे
और एकता की ये है गगरी
नर नारी,बड़े बुजुर्गो का
हो समुचित मान सम्मान यहाँ
पावन वसुंधरा ही तब
बन जाए स्वर्ग समान जहां ।।
वंदना सोलंकी
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