साहित्य चक्र

30 November 2019

ढाई आखर प्यार के

पहला पहला प्यार
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ढाई आखर प्यार के
और पहली मुलाकात के
जब जब याद करता हूँ
नई जवानी नई ऊर्जा
नई उमंग नई बातें
अक्सर मन मे आती है
समन्दर के लहरों सी
विचारों की ये लहर
आती और जाती है
पहले प्यार के किस्से
वो छुप कर खत लिखना
वो छुप कर प्यार करना
लम्बी प्रतीक्षा
एक झलक पाने के लिए
किया करते थे हम
वक़्त कब गुजर गया
वो मुस्करा देती तो
दिन भर अच्छा लगता
कभी रूठती कभी मनाता
ये प्यार के पल पल
आखिर कैसे भुलाता
हाथों में हाथ थामना
और आँखों से बातें करना
ये सब पहले प्यार के
वो अनमोल क्षण हैं
जो गुजर गए और
अतीत के पृष्ठ बन गए

                                    राजेश पुरोहित


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