बिहार तेरी कहानी
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बुद्ध से लेकर गुरू गोविन्द तक
कर्ण से लेकर चाणक्य तक
अशोक से लेकर वीरकुँवर तक
आर्यभट्ट से वशिष्ट तक
की धरती कितना पावन।
बहती है हर ओर नदियाँ
लगते फसल लुभावन
है अनेक परिवेश यहाँ
पर्व त्योहार विशेष यहाँ।
राजनीति में सभी परांगत
चौक चौराहे पर लगती जमावट
होते बहुत तर्क वितर्क
उसी पर निकालते बुद्धिजीवी निष्कर्ष।
निष्कर्ष भी होते सटीक
चैनलो पर करते विश्लेषण
कभी न होता चौराहे का जिक्र
सभी कहते मै हूँ सटीक।
सुबह हो या शाम
खाने के सभी शौकीन
अलग अलग व्यंजन के प्रकार
बनाकर करते रोज आहार।
दूर परदेश में रहना
यहाँ की मजबूरी
नही मिलता यहाँ
काम और उचित मजदूरी।
हर घर है पलायन का शिकार
महिलायें संभाले घर द्वार
कोई उपाय करता नहीं
पलायन यहाँ रूकता नहीं।
आशुतोष
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