साहित्य चक्र

30 January 2022

कविताः सिर्फ राजनीति है

जितेंद्र कबीर



दूसरों को दबाकर
और अपनों को मूर्ख बनाकर रखने की
एक सोची-समझी रणनीति है,
बताया जाता है दुनिया में धर्म-रक्षा जिसे
असल में वो सिर्फ और सिर्फ राजनीति है।

वृहद अर्थों में 
अपने-अपने ढंग से
जीवन-यापन का महज एक तरीका 
भर है धर्म,
फूट उसके आधार पर 
लोगों की आपस में डलवाकर 
राज उनके ऊपर करने की
सदियों से चली आ रही रीति है,
बताया जाता  है दुनिया में धर्म-रक्षा जिसे
असल में वो सिर्फ और सिर्फ राजनीति है।

धर्म के आधार पर 
कट्टरता को बढ़ावा देने वाले देशों का
हाल देख लो दुनिया भर में,
भूख, गरीबी, हिंसा, भ्रष्टाचार और
तानाशाही से हैं सब के सब जूझ रहे,
धर्म के नाम पर जनता को
मूलभूत अधिकारों से वंचित करने की
सबमें चल रही अनीति है,
इसलिए कहता हूं कि
वक्त है अभी समझ जाओ
बताया जाता है दुनिया में धर्म-रक्षा जिसे
असल में वो सिर्फ और सिर्फ राजनीति है।


                                 लेखक- जितेन्द्र 'कबीर'


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