सुंदर सलोनी तरुणी।
गागर ले चली तीर ताल।
गागर भरन परंतु गागर।
भरन पूर्व सूर्य अस्ताचल।
होने को बेताब तबही।
अनायास पिया स्व दृग।
सम्मुख पा सुध-बुध खो।
गागर भरन भूल।
गागर तज जल मध्य।
पिया पा बाहों में आलिंगनबद्ध।
हुई भाव विभोर स्व को भूल।
एक दूजे में खो गए।
द्वौ तन हुए एक मानो।
द्वौ तन आत्मा मिलन।
पा हुई एक-दूजे में समा।
हो गई एक ही आत्मा।
लेखिका- संगीता सूर्यप्रकाश
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