साहित्य चक्र

01 December 2018

अमन का सूर्योदय


सूर्योदय होते ही,
झूम उठता है संसार।

और
अंधकार रूपी ये सँसार,
हो उठता है उजागर,
पड़ते ही सूर्य का प्रकाश।

भंवरे
गुनगुनाते हुए,
आ बैठे फूलों पर।

और
सुगंधित हो उठता है संसार,
मानो लगता है आज सवेरा हुआ है बरसों बाद।

हे ईश्वर करना आप दया,
अपनी बनाई हुई इस श्रष्टि पर।

हो जाये जग मग , जग मग,
ये बनाया हुआ आपका संसार।

                        


                                      अमन वशिष्ठ

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