साहित्य चक्र

01 December 2018

फ़तवे की चोट..?





फ़तवा शब्द सुुनते ही इस्लाम याद आता है। या फिर मुस्लिम धर्म गुरू याद आते हैं। आखिर यह फ़तवा क्या है..?  क्या फ़तवा एक अधिकार है..? आखिर क्या है...?  फ़तवा की हकीकत और सच्चाई...? 

आइए आज मैं आपको इस शब्द से रूबरू करता हूं...। आखिर क्या है फ़तवा और किसे कहते है फतवा..? जब मैंने इस शब्द पर अपनी खोज या रिसर्च की तो मुझे कई तर्क मिलें। जैसे फतवे का मतलब अरबी भाषा में लफ्ज़ होता है। जिसका अर्थ मुस्लिम लॉ के अनुसार किसी निर्णय पर नोटिफिकेशन जारी करना या एक राय देना होता है। इस्लाम में फ़तवा शब्द का बड़ा ही महत्व है। आम जनता समझती है, कि फ़तवा किसी विशेष व्यक्ति की जान लेना होता है। वैसे फ़तवे का यह मतलब नहीं होता है। फ़तवा एक इस्लामिक शब्द है जो इस्लामिक कानून से संबंधित हैं या संबंध रखता है। फ़तवे को एक तरह से सुझाव कह सकते है। फ़तवे का शाब्दिक अर्थ असल में सुझाव ही है। इसका मतलब यह है, कि कोई इसे मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। वैसे हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहांं कानून का राज चलता है। संसद जो कानून बनाता है, वह कानून सभी धर्मों पर लागू होता हैं। चाहे हिंदू धर्म हो या फिर इस्लाम ही क्यों ना हो। वैसे आपको बता दूं, मुसलमानों के लिए एक अलग कानून की अवधारणा अग्रेजों की देने है। जो सन् 1937 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाकर लागू किया गया था। जो आज भी पूरे देश के मुस्लिम समुदाय के लिए लागू हैं। इसलिए यह अंग्रेजों की विरासत है, बल्कि कोई इस्लामिक सिंद्धात नहीं है। दरअसल अग्रेजों ने इसे कानूनी रूप से एक अलग दर्जा देकर उस समय अपना राजनीतिक हित साधा था। जो आज भी होता जा रहा है। जी हां.. आज भी हमारे देश में राजनेता राजनीति के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तत्पर है। चाहे दो अलग-अलग धर्मों के लोगों को लड़ना हो या फिर किसी मुद्दे पर राजनीति करना हो। यह हमारे देश के लिए कैंसर के भी गंभीर बीमारी है...। 




                                                                                       रिपोर्ट- दीपक कोहली  



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