साहित्य चक्र

01 December 2018

#पहाड़ का गाँधी- इंद्रमणि बडोनी#



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'पहाड़ का गांधी' :- इंद्रमणि बडोनी वो नाम है जो देवभूमि उत्तराखंड की आत्मा में बसा हैं..।  आज अगर आप उत्तराखंड राज्य के नागरिक हैं..तो आपको भी जानना चाहिए..। आखिर कौन है 'उत्तराखंड का गांधी'...? 
इंद्रमणि बडोनी वो शख्स है जिन्होंने उत्तराखंड राज्य की नींव रखी..। इन्हें 1994 उत्तराखंड आंदोलन का सूत्रधार भी कहा जाता हैं..। बडोनी जी जुबान के पक्के और मजबूत इरादों  वाले शख्सियत थे..। जो अपने दम पर सत्ता हिलाने का माद्दा रखते थे..।  




2 अगस्त 1994 का वो दिन उत्तराखंड प्रदेशवासी कभी नहीं भूल पाएगें..। जब पौड़ी के प्रेक्षागृह के सामने बडोनी जी आमरण अनशन पर बैठे...। जिस अनशन ने पूरे देश की राजनीति में खलबली मचा दी..। जिसके बाद 7 अगस्त 1994 को इंद्रमणि जी को जबरदस्ती मेरठ अस्पताल में भर्ती करवाया गया..। कुछ ही दिनों बाद इंद्रमणि को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया...। जहां उन्हें कड़े पहरे में रखा गया..। इसी दौरान यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया...। यह इंद्रमणि बडोनी की ही आवाज थी..। जिसने 1994 के आंदोलन को एक विशाल रूप दिया..। जनता के भारी दबाव में बडोनी जी ने 30वें दिन ही अपना अनशन तोड़ दिया..। 

उस समय बीबीसी की एक रिपोर्ट में बीबीसी ने कहां था..। 
'अगर आपको चलते-फिरते और जीवित गांधी को देखना है, तो आप उत्तराखंड चले जाअो..। वहां गांधी आज भी विराट आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे है'..। 

1 सितम्बर और 2 सितम्बर 1994 का वो काले दिन जब खटीमा हत्याकांड और मसूरी हत्याकांड हुआ था..। जिन कांडों ने पूरे देश को हिला  कर रख दिया..। जिसने पूरे देश की राजनीति में तहलका मचा दिया..। इसके बाद 15 सितम्बर को जब बडोनी जी शहीदों को श्रद्धांजलि देने लिए मसूरी पहुंचे तो पुलिस ने 'बडोनी' जी को 'जोगीवाला' में गिरफ्तार कर सहारनपुर भेज दिया..। इस दमन की प्रदेश में निंदा होने लगी..। जिसके बाद पूरे प्रदेश में उत्तराखंड राज्य की एक नई आग लगने लगी..।  
इंद्रमणि बडोनी एक पतले-दुबले, लम्बी दाढ़ी वाले अदम्य शख्स थे। जिनका जन्म 24 दिसम्बर 1925 को टिहरी रियासत के जखोली ब्लॉक में हुआ था..। इंद्रमणि की प्राथमिक शिक्षा गांव और माध्यमिक शिक्षा नैनीताल से और उच्चतम शिक्षा देहरादून से हुई थी..। बडोनी जी की शादी मात्र 19 साल की उम्र में सुरजी देवी से हुई..। बडोनी जी 1961 में अपने गांव के प्रधान फिर जखोली विकास खंड के प्रमुख भी रहे..। जिसके बाद बडोनी जी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा में तीन बार देव प्रयाग विधानसभा से विधायक रहे..। 1977 के विधान सभा चुनावों में बडोनी जी निर्दलीय चुनाव लड़े और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों की जमानतें जीत जब्त करवा दी..।  1980 में इंद्रमणि उत्तराखंड क्रांति दल के सदस्य बनें। 1988 में बडोनी जी ने 105 दिन पैदल जन-संपर्क यात्रा की..। जिस यात्रा में बडोनी जी घर-घर जाकर उत्तराखंड राज्य का अवधारणा लोग तक पहुंचायी..। उत्तराखंड राज्य का सपने सबसे पहले बडोनी जी ने ही देखा था..। इस दौरान बडोनी जी को कड़ा संघर्ष किया..। पहाड़ी राज्य के इस सपूत ने 72 साल की उम्र में एक अलग राज्य की निर्णायक लड़ाई लड़ी..। इंद्रमणि बडोनी सन् 1994 से1999 तक इस लड़ाई में जूझते रहे..। लगातार संघर्ष, जन-संपर्क, जनांदोलनों की वजह से बडोनी जी की तबीयत खराब होने लगी..। जिसके बाद 18 अगस्त 1999 का यह सपूत अपनी अंतिम यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया...।  


                                                       संपादक- दीपक कोहली


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