साहित्य चक्र

19 October 2024

कविता- यादे





ये तुमने क्या कह दिया,
तुम मुझे याद नहीं करते हो।

दिल के टुकड़े कर दिए,
कितने सपने देखे थे हमने, 
एक पल में चकनाचूर हो गये।
 
कहा था तुमने हर बार मुझसे, 
साथ कभी छोड़ूंगा नहीं तुम्हारा, 
आज लगता है रब भी मुझ से रूठ गया।

जिसे मैने अपना माना, 
वो ही दिल को तोड़ गया।

क्या कहु ए दिल तुमसे, 
अपने होठों पर मुस्कान ला, 
और फिर से याद कर उस रब को, 
वहीं सही रास्ता दिखाएगा तुझको।

                                - गरिमा

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