साहित्य चक्र

09 September 2024

भारतीय स्त्रियों की कहानी: रेप, उत्पीड़न और हिंसा

भारत विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं का देश है। भारतीय लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि जोर-जोर से चिल्ला कर कहते हैं कि हमारे संस्कृति और सभ्यता दुनिया के अन्य देशों से बेहतर और पुरानी है। मगर भारतीय लोग तब चुप हो जाते हैं, जब इनसे पूछा जाता है कि इतनी अच्छी और पुरानी संस्कृति के बावजूद आपके देश में स्त्रियां सुरक्षित नहीं है। आखिर यह कैसी संस्कृति है ?





भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिदिन 87 रेप होते हैं। अगर सीधे शब्दों में कहूं तो प्रति घंटे तीन महिलाएं रेप का शिकार होती हैं। इतना ही नहीं बल्कि 100 में से मात्र 27 मामलों में ही आरोपियों को सजा हो पाती है। भारत सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि हर साल चार लाख से अधिक महिलाएं रेप, उत्पीड़न, हिंसा और छेड़छाड़ जैसे अपराधों का शिकार होती हैं। यह सिर्फ पुलिस थानों में दर्ज किए गए आंकड़े हैं बाकी कई ऐसे मामले हैं जिन मामलों में एफ‌आईआर तक दर्ज नहीं हो पाती है।

दिल्ली का निर्भया कांड, हैदराबाद का डॉक्टर कांड और हाल ही का कोलकाता डॉक्टर कांड यह बताता है कि अपने पैरों पर खड़ी महिलाएं भी हमारे देश में सुरक्षित नहीं है। हमारा देश महिलाओं को देवी मानकर पूजने वाला देश है। उसके बावजूद भी हमारे देश में महिलाओं के प्रति अपराध के ये आंकड़े बताते हैं कि हम अपनी संस्कृति के नाम पर ढोंग करते हैं। आज भी हमारे समाज में महिलाओं को क‌ई जगह घुंघट हटाने तक की आजादी नहीं है। यह उन समाजों का हाल है जो भारत की समृद्ध और शिक्षित समाज माने जाते हैं। संस्कृति और सभ्यता के नाम पर कब तक भारतीय स्त्रियों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार होता रहेगा ? क्यों हमारे समाज में बात-बात पर मां और बहन की ही गालियां दी जाती है ?

साल में दो बार हम नवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं और स्त्रियों की पूजा करते हैं। इसके बावजूद भी हमारे देश में महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अगर मैं भारतीय समाज के सबसे पिछड़ी तबले की बात करूं यानी दलित और आदिवासी समाज की महिलाओं की तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। भारत सरकार के जो आंकड़े आपने ऊपर देखे उन आंकड़ों में 85-90% मामले दलित और आदिवासी समाज की महिलाओं के साथ होते हैं। इन आंकड़ों को देखकर मुझे ऐसा लगता है कि हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता पर तब गर्व महसूस करना चाहिए जब इन आंकड़ों की संख्या जीरो हो जाए। नहीं तो हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करना बंद कर देना चाहिए।

- दीपक कोहली


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