देश में पिछले कुछ दिनों से लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाली घटनाएं घट रही हैं। देश में बड़ीबड़ी ब्रांडेड कंपनियों और रेस्टोरेंट द्वारा दिए जाने वाले फूड पैकेट्स में हानिकारक जीवजंतु और चीजवस्तु मिल रही हैं। गुजरात में एक फूड पैकेट में मरे कीड़े-मकोड़े निकले थे तो एक फूड पैकेट में मरा हुआ मेढ़क निकला था। एक आइस्क्रीम में कटी हुई अंगुली निकली थी। देश के अन्य हिस्सों में भी यही सिलसिला चल रहा है। मशहूर कंपनियों द्वारा देश में बेची जाने वाली खानेपीने की चीजवस्तुओं में कीड़ा, मेढ़क और काक्रोच मिल रहे हैं। विमान के अंदर, परोसे जाने वाले भोजन में इस तरह की हानिकारक और जानलेवा चीजवस्तुएं मिल रही हैं। परिस्थिति इतनी बेकाबू हो चुकी है कि एक ही महीने के पंद्रह दिनों में ये सारी घटनाएं घटी हैं।
6 जून को असम के खाजली जिले में एक जानीमानी कंपनी के फूड पैकेट से कीड़ा मिला। 10 जून को एक विमान बेंगलुरु से अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को जा रहा था। उस विमान में परोसे जाने वाले खाने ब्लेड निकली। इस घटना के बाद उस अंतरराष्ट्रीय विमान सर्विस ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी।
13 जून को मुंबई के एक डाक्टर ने ऑनलाइन आर्डर कर के आइस्क्रीम मंगाई और उसने आइस्क्रीम खाना शुरू किया। उसे उसका स्वाद विचित्र लगा। मुंह से आइस्क्रीम बाहर निकाल कर देखा तो वह अंजीर या कोई फ्रूट नहीं था। वह कटी हुई अंगुली थी। यह देख कर डाक्टर के होश उड़ गए।
15 जून को नोएडा में रहने वाली एक महिला ने एक जानीमानी कंपनी की आइस्क्रीम मंगाई। उसमें कनखजूरा निकला।
18 जून को भोपाल से आगरा जा रही ट्रेन में एक मुसाफिर ने ट्रेन की भोजन व्यवस्था से भोजन मंगाया। उस रेलवे कैटरिंग सर्विस द्वारा दिए गए भोजन से काक्रोच निकला। मुसाफिर ने उस काक्रोच का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
18 जून गुजरात के जामनगर की एक युवती ने एक प्रसिद्ध कान्फेक्शनरी कंपनी द्वारा निर्मित चौकलेट सीरप मंगाया और उसे पीते ही युवती बेहोश हो गई। जब उस बोतल को खोल कर देखा गया तो उसमें बाल और एक मरी हुई चुहिया मिली।
ये कुछ उदाहरण हैं। अन्य कुछ मामलों में ब्रांडेड कंपनी की पानी की बोतल से मरे हुए जीवजंतु निकले हैं। लोग रेलवे से यात्रा करते हैं तो प्लेटफौर्म से पानी की बोतल खरीदते हैं। उनमें तमाम बोतलें तो नकली होती हैं। इसका मतलब जानीमानी कंपनी के नाम से बिकने वाली पानी की वे बोतलें नकली होती हैं। भारत में अब खास कर शहरों के परिवारों में ऑनलाइन फूड मंगाने का क्रेज बढ़ा है। इसमें तमाम मामलों में जीवजंतु मिलने की घटनाएं अचानक बढ़ी हैं। ये घटनाएं उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए खाद्यसुरक्षा प्रोटोकाल की व्यापक समीक्षा करने की जरूरत है। इन खाद्यपदार्थों के उत्पादों के निर्माण और पैकेजिंग के मापदंडों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के साथ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
अब रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों या बाजार में मिलने वाली पानी की बोतलों की बात करते हैं। आज से 50-60 साल पहले देश के लोग कहीं जाते थे तो पानी की सुराही, कूलकेग आदि साथ ले जाते थे। अब यह परंपरा आउट आफ डेट हो गई है। लोग पानी की बोतल खरीद लेते हैं। पानी की बोतलें प्लास्टिक की होती हैं। इसमें पानी भरने के पहले और बाद में विक्रेता सैकड़ों की संख्या में पानी की बोतलें गोडाउन या बाहर धूप में घंटों रखे रहते हैं। प्लास्टिक में हजारों तरह के रसायन होते हैं। इन बोतलों को 40 या 45 डिग्री की धूप में रखने पर बोतलों के प्लास्टिक का खतरनाक रसायन पानी में मिलता है, जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। यह जो रसायन पानी के साथ शरीर में जाता है, वह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पैदा करता है। इसके अलावा तमाम लोग अनेक बीमारियों का शिकार होते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग ब्रांडेड कंपनी के नाम की लेबल नकली बोतलों पर लगा कर असली बोतलों में मिला कर बेच देते हैं।
अब बात करते हैं दूध की। एक समय दूध वाला घरघर दूध देता था। अब दूध वितरक प्लास्टिक की थैली में दूध भर कर बेचते हैं। कुछ बदमाश यूरिया के मिश्रण का नकली दूध प्लास्टिक की थैली में भर कर विक्रेताओं को देते हैं। यह यूरिया वाला दूध मानव के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। ऐसा ही पनीर के साथ भी है। वैसे तो पनीर दूध से बनती है। परंतु बहुत लोग नकली पनीर भी बनाते हैं। नकली पनीर बनाने वालों को पकड़ने के मामले अक्सर जानकारी में आते रहते हैं। बहुत से लोग घी खाने के शौकीन होते हैं। पर बहुत लोगों को पता नहीं है कि कुछ लोग आलू को उबाल कर नकली घी बनाते हैं। इस घी को खाकर भी लोग बीमार होते हैं।
ऐसा ही मसाले में भी है। भारतीय व्यंजनों में नमक, मिर्च, हल्दी, लौंग जैसी चीजों द्वारा स्वादिष्ट भोजन बनाया जाता है। पर दूसरा सत्य यह भी है कि मिर्च का पाउडर भी बनावटी होता है और पिसी मिर्च में खतरनाक लाल रंग मिला कर मिर्च चटक लाल बनाया जाता है। मिर्च में मिलाए गए लाल रंग में भी खतरनाक रसायन होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। एक समय था, जब महिलाएं लाल मिर्च खरीद कर लाती थीं और घर में कूटती थीं। अब वह जमाना गया। 90 प्रतिशत महिलाएं बाजार से पिसी मिर्च खरीद कर लाती हैं और उसे घर वालों को खिला कर पूरे परिवार के स्वास्थ्य को खतरे में डालती हैं।
यूरोप या अमेरिका जैसे देशों में खाद्यपदार्थों में मिलावट या नकली चीजे तैयार करना गंभीर अपराध माना जाता है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा दी जाती है। भारत जैसे विशाल देश में भी वैसी ही सख्ती की जरूरत है। खाद्यपदार्थों में मिलावट करने वालों या बनावटी दूध या पनीर बनाने और बेचने वालों के लिए सख्त से सख्त सजा की व्यवस्था होनी चाहिए।
अंत में करते हैं नकली शराब की बात। ऐसे भी तमाम लोग हैं, स्काॅच या प्रसिद्ध व्हिस्की का लेबल बोतल पर चिपका कर सस्ती शराब बेचते हैं। एक व्यक्ति ने मजाक में कहा था कि स्काॅटलैंड में बनने वाली स्काॅच व्हिस्की भारत में अधिक बिकती है। मतलब साफ है कि लोग भारत में नकली स्काॅच व्हिस्की बेचते हैं। जबकि शराब पीना ही मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। एक समय मुंबई के उल्हासनगर में जानेमाने ब्रांड की तमाम नकली चीजें और खाद्यपदार्थ बनता था। पर अब उल्हासनगर में ऐसा नहीं है।
- वीरेंद्र बहादुर सिंह
No comments:
Post a Comment