साहित्य चक्र

08 November 2020

आप और हम क्या सोचते हैं..?




क्या कभी आपने सोचा आप जो सोच रहे हैं वह किसके लिए सोच रहे हैं..? हमारे सोचने से हमें क्या फायदा होगा..? उसके ना सोचने से और सोचने से हमें क्या फायदा होगा..? आज हमारी सोच ही हमारे देश और समाज का विकास कर सकती है। जैसा हम सोचेंगे वैसे ही हमारे समाज का निर्माण होगा और जो समाज हम अपने आने वाली पीढ़ी को देंगे उसी समाज से वह आगे बढ़ेंगे। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हमें जाति व्यवस्था में बांटा और इस कुप्रथा को पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे ऊपर थोपता रहे। जिसके कारण आज हमारे समाज में दरारें पड़ रही हैं। इन सब के लिए वह लोग भी जिम्मेदार हैं जो समाज में पढ़े लिखे थे और जिन्होंने समाज की हकीकत को सही से नहीं लिखा और समान दृष्टि से समाज के बारे में नहीं सोचा। अगर वह लोग समान दृष्टि से सोचते तो आज हमारे समाज में अलग-अलग जाति और मजहब देखने को नहीं मिलते। हमें खुद अंदाजा लगाना चाहिए जब गाय, बकरी, भैंस जैसे जानवरों में ऊंच-नीच का भेद नहीं है तो फिर इंसान तो इन सभी से काफी बुद्धिजीवी है। क्यों ना हमें आज और अभी से समानता की बात करनी चाहिए..? हो सकता है आज आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो, मगर कल आपके आने वाली पीढ़ी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होगी तो तब आप समानता की बात पर पूर्ण रूप से सहमत होंगे। इंसान की फितरत है जब वह किसी ऊंचे पद पर बैठा होता है, तब वह अन्य निचले गरीब लोगों को अपनी बराबरी करने से रोकता है। इसीलिए हमारे समाज के लिए यह महत्वपूर्ण है हम और आप क्या सोचते हैं..? इस बात को याद रख लीजिए समय का चक्र कभी भी किसी का इंतजार नहीं करता और कोई भी इंसान हमेशा सुख और अमीर नहीं रह सकता है। भले ही आप मेरी बातों को अन्य तरीकों से काटने का प्रयास करेंगे, मगर जो मैंने बोला है वह हकीकत है। जब हमारे घर में किसी की तबीयत खराब होती है तो तब हमें लगता है कि दुनिया का पूरा दुख हमारे परिवार के ऊपर टूटा है। मगर ऐसा नहीं होता है। दुख हर इंसान के ऊपर आते हैं। कोई इंसान हिम्मत से सामना करता है तो कोई अपना धैर्य खो बैठता है।

हर इंसान के लिए उसकी सोच बहुत ही मायने रखती है। आपकी सोच आपको दुनिया का सबसे सर्वशक्तिमान इंसान बना सकती है और आपकी सोच आपको एक भिखारी भी बना सकती है। मगर यह आप पर निर्भर करता है। हां मैं मानता हूं सोच से ज्यादा पैसा मायने रखता है, मगर पैसा वही तक काम आ सकता है जहां तक उसकी जरूरत हो। मगर उस पैसे को भी सही दिशा और मार्ग देने के लिए एक अच्छी सोच की जरूरत होती है। इसीलिए एक बेहतर समाज, प्रदेश, राष्ट्र और राज्य बनाने के लिए हमें एक बेहतर सोच को प्रवाह करने की जरूरत है। जिस सोच में समानता हो, सभी के अधिकार हो, सभी के लिए भाव हो और सभी का समान हो। मुझे व्यक्तिगत तौर पर ऐसा लगता है कि हमारे सोच से यह सभी चीजें समाप्त हो रहे हैं। जिसके कारण हम आज कभी-कभी गलत के साथ भी खड़े हो जाते हैं, मगर हमें वह दिखाई नहीं देता है। इसके पीछे हमारे ऊपर थोपी जा रही एक ऐसी विचारधारा और सोच हैं जो हमें मानसिक रूप से विकलांग बना रही है।

याद रखिए आपका मानसिक रूप से विकलांग होना देश के लिए बहुत हानिकारक है। यूं ही पूरा समाज मानसिक रूप से विकलांग बनता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे ऊपर किसी अन्य देश व साम्राज्य का शासन होगा या फिर ग्रह युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। हमें अपनी शासन व्यवस्था, कृषि व्यवस्था, कानून व्यवस्था सहित अन्य को बेहतर बनाने के लिए सोचना चाहिए। अब आप यहां पर सवाल खड़ा कर सकते हैं कि हम कैसे सोचें क्योंकि हम कुछ कर नहीं सकते हैं। आप कुछ कर सकते हैं या नहीं वह बात की बात है। अगर आप अच्छा सोचेंगे तो आपके परिवार के अन्य सदस्य भी अच्छा ही सोचने का प्रयास करेंगे। जिससे सामाज का मानसिक विकास होगा। हम और आप क्या सोचते हैं इसी पर हमारे देश का वर्तमान और भविष्य निर्भर करता है। आज हम बेहतर सोचेंगे तभी हम अपने आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर राष्ट्र दे पाएंगे अन्यथा यूं ही जाति धर्म मजहब उच्च नीच की लड़ाई में मरते रहेंगे। बाकी आपके हाथ में है आपको इसी लड़ाई में मरना है या फिर एक बेहतर इंसान बनकर समाज की कमियों को उसके सामने रखना है यानी समाज को आइना दिखाना है।

@दीपक_कोहली




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