अनुराग बहुत याद आओगे
एक हंसता हुआ चेहरा था,
जो सब के दुख दर्द को समझा था,
अपनी परवाह कभी न कि उसने,
दूसरे के दर्द को अपना समझता था,
तुम क्या गए जग रूठ गया,
सबके होठों की हंसी सूख गई,
सबकी आंखें नम है,
ढूंढ रही हैं तुम्हें यहां वहां,
पर तुम हो कहां अब,
पर मेरा दिल कहता है,
तुम सब के दिल में रहते हो,
वहां से तुम्हें कोई निकाल नहीं सकता,
सच कहती हो अनुराग,
तुम बहुत याद आओगे।
भाभी की वह सूनी मांग,
दिल को दुखाती है,
बच्चों की परेशानियां भी,
दिल में आग लगाती हैं,
पापा तुम कहां चले गए,
कैसे समझाएं उनको,
पापा कहीं गए नहीं,
जो सबके दिलों में रहते हैं,
नहीं सहा जाता है अब इतना दर्द,
आ जाओ तुम फिर से वापस,
पर सच यही है,
जो गया वह वापस नहीं आएगा,
अनुराग तुम बहुत याद आओगे।।
गरिमा लखनवी
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