साहित्य चक्र

19 December 2020

मैं छोटा सा आदमी



 मैं छोटा सा आदमी
 छोटी सी दुनिया मेरी 
छोटा सा शहर है
 छोटी-छोटी ख्वाहिश है 
छोटी छोटी खुशियां मेरी 
मैं छोटा सा आदमी

 बड़े लोगों में छोटा महसूस करता हूं
 महफिलों के काबिल नहीं 
अपनी ही दुनिया में मस्त रहता हूं
 मैं छोटा सा आदमी

 मगर बड़े हैं संस्कार मेरे
 बड़े हैं विचार मेरे
 बड़ी है मंजिलें मेरी
 जिन पर नि :संकोच निडर हो
 मैं चलता हूं 
मैं छोटा सा आदमी हूं

                                     कमल राठौर साहिल


1 comment: