साहित्य चक्र

08 November 2020

याद रखना

उठूंगा एक दिन
तूफान बन कर
मुझे याद रखना।

बहूँगा एक दिन
आंखों का आंसू बनकर
याद रखना।

दूंगा दर्द सीने में
याद बनकर
याद रखना।

ढूंढो गए मुझे तुम
अपने और परायो में
याद रखना।

चीख उठोगे
अपनी नासमझी पर एक दिन
याद रखना।

बड़ा भरोसा है तुम्हें जिन पर
छोड़ जाएंगे वो एक दिन
याद रखना।

बहुत तड़फोगे एक दिन
मेरे लिए तुम
याद रखना।

                                         राजीव डोगरा 'विमल'


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