साहित्य चक्र

07 November 2020

ममता का दूसरा नाम माँ



 
ममता का दूसरा नाम माँ है। 
चारों धाम सुबहो शाम माँ है। 

जो गीत गज़लो का बोध कराती 
मात्राओ की लगती लगाम माँ है। 

शब्दो का संचार होता मुझमे 
किताबों का होती सार माँ है। 

जीवन की इस आपाधापी मे 
सबसे सच्चा लगती प्यार माँ है। 

जिसके होने से घर घर लगता 
होती बच्चों का संसार माँ है। 

धड़कन होते बच्चे जिसकी 
साँसो की लगती तार माँ है। 

सागर की उठती लहर माँ है। 
गज़ल की होती बहर माँ है। 

जिधर देखो उधर मिलजाए 
बसी हर तरफ गाँव शहर माँ है। 

                                          मनन तिवारी 


 

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