साहित्य चक्र

08 November 2020

वो कहेगी नहीं यकीनन



उसके चेहरे से पढ़ना तुम, तबियत ए हाल उसका
वो कहेगी नहीं यकीनन
पर समझना खामोशियों में छिपे उदासीन ख़्याल उसका..
सुनो, देने हो गऱ तोहफे उसे
महंगें तोहफ़ों के बदले ले आना वक्त ज़रा
बैठना साथ में उसके फुरसत बेहिसाब लिए
बदले में माँग लेना उससे,
जो मुस्कुराहट के पीछे दबायी है वो दर्द खरा...
बस तारीफ़ों के पुल बांधना, कमियाँ उसकी,
उसके दीवार के क़िलों पर ना टाँगना..
अगर करना ही है कुछ उसके लिये,
बस सच कह देना , जो भी हो सवाल उसका...
उसके चेहरे से पढ़ना तुम, तबियत ए हाल उसका...

                                                  शेजल झा

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