साहित्य चक्र

08 November 2020

लिखना एक कहानी


शुरू किया था 
मैंने भी 
लिखना एक कहानी 
बहुत पहले 
बहुत बहुत पहले 
जब नई नई 
आई थी जवानी 
वो कहानी अभी तक 
लिखी जा रही है 
लगातार लिखी जा रही है 
लगातार लम्बी होती जा रही है 
जब भी नजदीक आता है 
कहानी का अंत 
फिर कही से निकल आता है 
उसका कोई पात्र 
किसी नए घटनाक्रम के साथ 
जिससे फिर से चल पड़ती है कहानी 
नए घटनाक्रम को लेकर 
उसे  पात्रों के साथ बुनते हुए 
जरूरी मोड़ों को चुनते हुए 
बरसों से लिख रहा हूँ 
जानता हूँ कि इस कहानी का 
पूरा होना जरूरी है 
फिर भी मेरी ये कहानी 
अभी तक हुई न पूरी  है 
क्योंकि मेरी भी ये मजबूरी है 
कि ज़िन्दगी अभी तक अधूरी है


                                                  डॉ. शैलेश शुक्ला, राजभाषा अधिकारी 


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