शुरू किया था
मैंने भी
लिखना एक कहानी
बहुत पहले
बहुत बहुत पहले
जब नई नई
आई थी जवानी
वो कहानी अभी तक
लिखी जा रही है
लगातार लिखी जा रही है
लगातार लम्बी होती जा रही है
जब भी नजदीक आता है
कहानी का अंत
फिर कही से निकल आता है
उसका कोई पात्र
किसी नए घटनाक्रम के साथ
जिससे फिर से चल पड़ती है कहानी
नए घटनाक्रम को लेकर
उसे पात्रों के साथ बुनते हुए
जरूरी मोड़ों को चुनते हुए
बरसों से लिख रहा हूँ
जानता हूँ कि इस कहानी का
पूरा होना जरूरी है
फिर भी मेरी ये कहानी
अभी तक हुई न पूरी है
क्योंकि मेरी भी ये मजबूरी है
कि ज़िन्दगी अभी तक अधूरी है
डॉ. शैलेश शुक्ला, राजभाषा अधिकारी
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