देश के प्रथम राष्ट्रपति & बिहार का लाल प्रसाद
बिहार वो भूमि है, जिसने देश को प्रथम राष्ट्रपति दिया। जी हॉं.. हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति बिहार के ही थे। जिनका जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के जीरादेई गांव में हुआ। जो महादेव सहाय के छोटे पुत्र थे। बिहार ने हमारे देश को कई लाल दिए है, जिनमें से एक डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी हैं। आइए आपको डॉ. प्रसाद के कुछ तथ्यों से अवगत कराते है। डॉ, प्रसाद बढ़े ही शांत सभाव के थे। जिनकी प्रांरभिक शिक्षा उनकी जन्म भूमि जीरादेई में हुई। जब डॉ. प्रसाद 12 साल के थे, तो उनकी शादी उनके पिता ने कर दी। उस समय डॉ. प्रसाद कक्षा पांच में पढ़ते थे। जब उनकी शादी राजवंशी देवी से हुई। जिसके बाद डॉ. प्रसाद पढाई के लिए कोलकाता चले गए। 1902 में उन्होंने कोलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके बाद उन्होंने 1915 में मास्टर डिग्री पूरी की, जिसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके बाद डॉ. प्रसाद ने कानून में डॉक्टेरट की उपाधि ली। जिसके बाद डॉ. प्रसाद वकालत करने लगे। सन् 1917 में डॉ, प्रसाद, महात्मा गांधी से मिले। जिसके पश्चात उनकी विचार धारा प्रभावित हुई। 1919 में पूरे देश में सविनय आन्दोल की लहर चली। जिसमें स्कूलों, सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार किया गया। जिसके बाद डॉ. प्रसाद ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया। 1931 में डॉ. प्रसाद को मुंबई काग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में डॉ. प्रसाद ने भाम लिया। डॉ. प्रसाद भारतीय सविंधान सभा के अध्यक्ष भी रहे थे।
राष्ट्रपति बनने से पहले डॉ. प्रसाद एक मेधावी छात्र, जाने-माने वकिल, संपादक, आंदोलनकारी, आदि के रूप में पहचाने जाते थे। डॉ. प्रसाद दो सप्ताहिक पत्रिका निकाला करते थे। जिसमें एक अंग्रेजी, तो एक हिंदी में प्रकाशित होती थी। जिनका नाम - 1) देश, 2) सर्चलाइट था। 26 जनवरी 1950 में देश को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में एक राष्ट्रपति मिला। जो 1962 तक इस सर्वोच्च पद पर विराजमान रहे। 1961 में डॉ, प्रसाद गंभीर बीमार पड़े, जिसके बाद 1962 में डॉ. प्रसाद ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं सन् 1962 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था। डॉ. प्रसाद को दयालु & निर्मल स्वभाव के जाना जाता है। इनकी छवि भारतीय इतिहास में एक महान विनम्र राजनेता के तौर पर होती है। डॉ. प्रसाद ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 2 जून 1954 में भारत रत्न की शुरूआत की। सन् 1921 से 1941 के दौरान राजनीति सक्रियता के दिनों डॉ. प्रसाद बिहार के विद्या पीठ भवन में रहे। जिसे अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद संग्रहालय बना दिया गया है। डॉ. प्रसाद को गांधी और बोस के बीच मतभेद दूर कराने के लिए भी जाना जाता है। वहीं सन् 1934 में बिहार भूंकप से पीड़ित लोगों के लिए रिलीफ फंड जमा करने में प्रसाद का अहम योगदान रहा था। डॉ. प्रसाद दमा के मरीज थे। जिसके चलते 28 फरवरी 1963 में प्रसाद की मृत्यु हो गई।
तब भारत ने एक महान नायक को खो दिया।। जय हिंद जय भारत..।।
संपादक- दीपक कोहली
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