साहित्य चक्र

07 February 2017

- गांधी परिवार के दो लाल -

                         - गांधी परिवार के दो लाल -
              
                            
गांधी परिवार की बात सामने आते ही गांधी परिवार के दो लाल याद आते है। एक कांंग्रेस के लाल है तो दूसरे बीजेपी के सांसद है। जी हां... मैं राहुल गांधी और वरुण गांधी की बात कर रहा हूं। ये गांधी परिवार के वो सपूत है। जिन्हें देश का बच्चा - बच्चा जानता हैं। इन्हें गांधी परिवार का भविष्य कहा जाए तो गलत नहीं होगा। वैसे देश की जनता इन्हें गांधी परिवार की वजह से जानती हैं। क्योंकि इनकी दादी देश की प्रधानमंत्री रही है। चाहे वह राहुल हो या फिर वरुण गांधी ही क्यों ना हो। वैसे हमारे देश में गांधी परिवार का एक अहम रोल रहा है। चाहे वह आजादी की बात हो या फिर देश को दो भागों में बॉंटने की। हर जगह गांधी परिवार अपनी मौजूदगी देखता आया है। ऐसे में आज गांधी परिवार का वर्चस्व खतरे में है। जिसे देखकर ये लगता है कि देश गांधी परिवार के चुगल से निकल रहा है। वहीं एक ओर कांग्रेस की नैया डूबने में लगी है, तो दूसरी ओर राहुल अपना कद बढ़ाने में लगे है। वहीं अगर बात करे वरुण गांधी की तो उनका बीजेपी में कोई वर्चस्व दिखता नज़र नहीं आता। वैसे इस गांधी परिवार को हर देशवासी जाता है। कोई इसे महात्मा गांधी के नाम से जानता है, तो कोई इसे इंदरा गांधी के नाम से आज भी जाता है। वैसे अगर बात की जाए तो गांधी परिवार की नई पीढ़ी कि, तो अभी तक दोनों सपूतों में से कोई भी देश की राजनीति में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं। जिससे ये साबित होता है, कि गांधी परिवार का दबदबा खत्म - सा हो रहा है। जहां एक ओऱ राहुल गांधी कांग्रेस की साख बचाने मेंं लगे है, तो वहीं वरुण गांधी अपनी एक अगल पहचान बनाने में लेगे है। वैसे वरुण गांधी को संजय गांधी की तरह समझा जाता है। वरुण गांधी कदम उठाने में विश्वास रखते है। ना की राजनीति करके उसे मुद्दा बनाते है। वहीं अगर राहुल की बात की जाए तो, राहुल को जबर्दस्ती राजनीति में लाया गया है। आखिर गांधी परिवार का दबदबा क्यों कम होता जा रहा है। क्या गांधी परिवार के इन दो लालों को राजनीति करनी नहीं आती है। या फिर देश की जनता गांधी परिवार का पूरा सच जान चुकी है। जो भी हो लेकिन इतना जरूर कह सकते है कि देश में गांधी परिवार का वर्चस्व बरकरार रहेगा। चाहे देश का प्रधानमंत्री गांधी परिवार से ना बने। लेकिन देश की राजनीति में उनका वर्चस्व लगातार बरकरार रहेगा। यह मेरा कहना नहीं है, यह तो देश की राजनीति का कहना है। वैसे आपको बता दूं कि राहुल गांधी और वरुण गांधी के पिता भाई थे। लेकिन आप सोच रहे होगे कि राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष है, तो वरुण गांधी बीजेपी से सांसद क्यों..? इसके भी कई मायने है। जिस पर मैं बात नहीं करना चाहता। जहां एक ओर राहुल गांधी को कांग्रेस भविष्य का पीएम उम्मीदवार मानती है। वहीं अगर वरुण गाँधी की बात करें तो उनका कोई वर्चस्व बीजेपी में दिखता नजर नहीं आता। जिससे ये कयास लगाए जा रहे है, कि वरुण कहीं कांग्रेस में शामिल न हो जाए। अगर ऐसा होता है, तो यह गाँधी परिवार के लिए एक संजीवनी बूंटी से कम नहीं होगी। वैसे गांधी परिवार भी ये चाहेगा कि अगर दोनों सपूतों कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ाने में लगे तो बुरा नहीं होगा। जिससे घर की पार्टी में एक नया जोश और जज्बा देखने को मिल सकता है। इंद्रा गांधी के समय में भी गांधी परिवार के सपूतों ने कांग्रेस पार्टी को एक नया आयाम दिया था। जिसे आज भी याद किया जाता है। अब देखने वाली बात ये रहेगी, कि देश की राजनीति में गांधी परिवार के ये सपूत कितने कामयाब होते हैं। ये तो समय ही बताएगां ।
गाँधी परिवार के इन पुत्रों के लिए मैं इतना ही कह सकता हूं, कि ये राजनीति है इसमें कोई किसी का नहीं होता।
बस राजनीति करते जाओ और सीखते जाओ। तब दांव खेलो...।।

                                                                        संपादक-  दीपक कोहली  

     




         
     

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