जी हां... अब सड़कों पर विवश बच्चों की देखभाल के लिए सरकार ने एक और ठोस कदम उठाया है। 'मानव संचालन प्रक्रिया' जिसका उद्देश्य सड़कों पर जीवन यापन करने वालों का पुर्नवास करना है। महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 21 फरवरी 2017 को इस पहल की पेश की। इस पहल का मकसद सड़कों में जीवन जी रहे बच्चों को संरक्षण देना हैं। जहां इस पहल को कई लोगों द्वारा सहारा गया हैं।
वहीं सरकार मानव संचालन प्रक्रिया के जरिए उन बच्चों को संरक्षण के साथ एक नया आयाम देना चाहेगी। जो सड़क के किनारे बच्चों को गोद में लेकर घूमा करते है। इस पहल का मकसद उन बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं भी देना है। जिन सेवाओं से वो लोग वछिंत रहते हैं। ये लोग सड़कों के किनारे अपना जीवन जीने को मजबूर है। क्योंकि ना तो इनके पास कोई घर है, ना कोई इन्हें काम देना चाहता हैं। क्योंकि हम जैसे लोग इन लोगों से घृणा करते हैं। जो हमारे लिए कलंक है। सरकार की इस पहल में कोई सहारे या नहीं लेकिन मैं जरूर सहरूंगा।
इस पहल के माध्यम से सरकार जो करना चाहती है, वह बेहद ही बेहतर है। लेकिन एक सवाल मन में जरूर उठ जाता है। क्या यह पहल कागजों में ही होगी या फिर जमीनी स्तर पर भी होगी। वैसे मैं इस पहल के लिए मेनका गाँधी की तारीफ करूंगा। जिन्होंने इस पहल को पेश कर सरकार के सम्मुख रखा।
आखिरकार सरकार ने भी इस पहल को सहारा। वहीं सरकार भी चाहेगी, इस पहल के माध्यम से सबसे पहले इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं दी जाए। जिससे इस पहल के माध्यम से सरकार हर बच्चे की खुशहाली का सपना देख सकती हैं। जो आने वाले देश के भविष्य है। वहीं आने वाला समय ही बता पाएगा यह पहल कितनी कारगर साबित हुई। पहल तो कई किए जाते है, लेकिन उन पर जमीनी स्तर पर काम देखने को नहीं मिलता है। जो हमारे देश की सबसे बड़ी कमजोरी है। सरकार कई पहल करती है और कई नियम बनाती है, लेकिन उन पर असल में काम नहीं होता है।
संपादक- दीपक कोहली