साहित्य चक्र

03 June 2022

कविताः तंबाकू जानलेवा है



तंबाकू का सेवन करना छोड़ो!
यह जानलेवा है,


यह जानते हुए भी! 
फिर क्यों धूम्रपान करते हो ?
तुम बुद्धिजीवी हो!  
अपने भविष्य को उज्जवल बनाओ!
तुम अंधेरों में क्यों रहना पसंद करते हो ?
मैं तुमको ऐसे टूटते हुए नहीं देख सकती,

क्योंकि, मैं चेतना प्रकाश हूँ।
तुम्हारी सांसे  मुझसे  जुड़ी हुई हैं,
तुम्हारे साथ मैं भी  घुटती हूँ,
तुमसे घर, पास – पड़ोस समाज भी प्रभावित होता है,
मैं  तुम्हें तड़पते हुए नहीं देख सकती,

       क्योंकि, मैं दर्पण हूँ।
मैं तुम्हारी सच्ची दोस्त बनकर तुमको समझा रही हूँ,
तुम्हारी जिंदगी बड़ी खूबसूरत है,
एक बार लौट कर तो देखो!
तुम्हारे अपने, तुम्हारी राह देख रहे हैं,
मैं  तुम्हें मौत के मुंह में जाते हुए नहीं देख  सकती,
क्योंकि, मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ।


लेखिका- चेतना चितेरी

No comments:

Post a Comment