साहित्य चक्र

03 June 2022

कविताः समाधान




तुम अब ठान लोगे
ज़िंदगी की हर उलझन को,
नया समाधान दोगे
तुम अब ठान लोगे

अपयश मिला मगर
सब खत्म नहीं हुआ है,
सफलता ने अभी भी
ना नहीं कहा है,
आँधी तूफाँ आये फिर भी
तुम भीड़ जाओगे,
परिस्थिति को निडर होकर
शह दे पाओगे

तुम अब ठान लोगे
ज़िंदगी की हर उलझन को,
नया समाधान दोगे
तुम अब ठान लोगे

तुम्हारा साथ निभाने
विवेकशक्ति साथ होगी,
सब खत्म हुआ लगेगा
मगर फिर शुरुआत होगी,
अंधेरा घना हो फिर भी
तुम जलते जाओगे,
दृढता से आत्मविश्वास
अटल रख पाओगे

तुम अब ठान लोगे
ज़िंदगी की हर उलझन को,
नया समाधान दोगे
तुम अब ठान लोगे



                                                                लेखक- गोपाल मोहन मिश्र

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