शिक्षक दिवस पर सब, सब शिक्षकों को सादर वंदन ।
पत्थर से हीरा बनाते हो, आपकी शिक्षा देती मार्गदर्शन ।।
दीपक होता है शिक्षक, बाती उसके सब विद्यार्थी ।
घी विद्यार्थी का अध्ययन, लौ उसका है जीवन ।।
बिन बाती है दीपक सून, अर है दीपक बिन बाती ।
अध्ययन रूपी घी न हो तो, विद्या लौ कहां से आती ।।
शिक्षक वह महामंत्र है, है जीवन का बड़ा मंत्र है ।
मंत्र सदा यह रटा करो, आदर गुरू का किया करो ।।
ब्रह्मा का यह रूप है, गुरूजन देव स्वरूप है ।
गुरू ही सच्चा ज्ञान है, गुरू प्रभु समान है ।।
शिक्षक का करो मान सम्मान, शीश झुकाकर करो प्रणाम।
" राजल " जीवन में सफलता पाएं, आगे ही वो बढ़ता जाए ।।
-राजलक्ष्मी गर्ग "मूलीबाई सा"
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