समता और सहकार के अग्रदूत महाराजा अग्रसेन
समता, समानता, सदभाव एवं विश्वबंधुत्व के आधार पर प्रजातांत्रिक व्यवस्था की नींव रखने वाले महाराजा अग्रसेन ऐसे आदर्श पुरुष है जिनकी शिक्षाएं, कार्यकलाप, उनके समय का सामाजिक परिवेश और जनहितैषी शासन व्यवस्था आज भी प्रासंगिक और जन-जन को प्रेरणा देने वाली है। वे मानते थे कि समाज सुखी और सम्पन्न होगा, तभी उनका राज्य भी सुदृढ़ और सुरक्षित रहेगा।
महाराजा अग्रसेन अग्रवाल समाज के युगपुरुष हैं। इनका जन्म महाभारत के बाद, द्वापर और कलयुग की संधिकाल में लगभग 5100 वर्ष पूर्व हुआ था। नागकन्या माधवी से विवाह हुआ। उन्होंने महालक्ष्मी को आराध्य देवी के रूप में प्रतिष्ठित करके एक सुसमृद्ध समाज की स्थापना का प्रयत्न किया। रक्तशुद्धि के आधार पर 18 गोत्रों का प्रचलन करके अग्रवाल जाति की स्थापना की और जनपद प्रणाली और अग्रोहा का विकास किया।
महाराजा अग्रसेन की राजधानी अग्रोहा में लगभग एक लाख समृद्ध वैभवशाली परिवार रहते थे। यहां से ही अग्रसेन ने समता और समानता का सिद्धांत प्रतिपादित किया। यदि कोई दीन और विपत्र व्यक्ति अग्रोहा में आकर बसता था तो उसको यहां के निवासी एक रुपये और एक ईंट का सहयोग देकर उसे अपने समकक्ष बना लेते थे। उनके राज्य में बिना वर्ग संघ या अन्य तरह के भेदभाव के सबको स्वतंत्रता, समानता, लोकतंत्र, भाई-चारा जैसे आदर्श, उपहार में मिले थे। जो भारतीय संस्कृति की परम्परा के मूल में है। इसीलिए उन्हें समाजवाद और समतावाद का प्रवर्तक कहा जाता है। महाराजा अग्रसेन ने तत्कालीन बिखरी हुई राष्ट्रीय और जातीय शक्तियों को समेटा-बटोरा, एकत्र किया और उनको चिरकाल के लिए सशक्त राष्ट्रीयता के सूत्रों में आबद्ध कर दिया। देश की एकता, शांति और समृद्धि के लिए महाराजा अग्रसेन ने जो आदर्श उपस्थित किये उनके लिये वे राष्ट्रीय पुरुष के रूप में चिर वंदनीय रहेंगे।
राष्ट्रीय सम्मान-
मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा सामाजिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता, श्रेष्ठतम उपलब्धियों व योगदान के लिए सम्मानित करने के उद्देश्य से महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया गया है। सम्मान के अंतर्गत पुरस्कार के रूप में 2.00 लाख की सम्मान निधि प्रशस्ति एवं सम्मान पटिका प्रदान की जाती है।
कमलकांत अग्रवाल
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