तेरी ये आंखें बोलती हैं बहुत कुछ,
दिखता है हर पल प्यार तेरा इन आँखों में,
विश्वास की अनौखी लकीर देखकर,
डूब जाने को मन करता है इन आँखों में l
दु:ख का साया हो या सुख की घड़ी,
खोजती मेरा ही साथ हैं ये तेरी आँखें,
अपनी इस अहमियत को देख,
समा जाने को मन करता है इन आँखों में l
कितना भी छिपाना चाहूँ अपने गम,पर
खोज ही लेतीं हैं ये तेरी आँखें,
मेरी इस परवाह को देख
वारी-वारी जाने को मन करता है इन आँखों में l
जिन्दगी की हर जद्दोजहद में
मुझसे दूर नहीं होती हैं ये तेरी आँखें
तेरी इस दिवानगी को देख
दिवाना हो जाने को मन करता है इन आँखों में l
लेखिका- तनूजा पंत
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