साहित्य चक्र

24 August 2022

कविताः तेरी आँखें...




तेरी ये आंखें बोलती हैं बहुत कुछ, 
दिखता है हर पल प्यार तेरा इन आँखों में, 
विश्वास की अनौखी लकीर देखकर, 
डूब जाने को मन करता है इन आँखों में l

दु:ख का साया हो या सुख की घड़ी, 
खोजती मेरा ही साथ हैं ये तेरी आँखें, 
अपनी इस अहमियत को देख, 
समा जाने को मन करता है इन आँखों में l

कितना भी छिपाना चाहूँ अपने गम,पर
खोज ही लेतीं हैं ये तेरी आँखें, 
मेरी इस परवाह को देख
वारी-वारी जाने को मन करता है इन आँखों में l

जिन्दगी की हर जद्दोजहद में
मुझसे दूर नहीं होती हैं ये तेरी आँखें
तेरी इस दिवानगी को देख
दिवाना हो जाने को मन करता है इन आँखों में l

 
                                                                    लेखिका- तनूजा पंत


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