साहित्य चक्र

03 April 2017

अल्मोड़ा की शोभा- जोशी




जब हम किसी नारी की बात करते है, तो कोई इंदिरा गांधी, और कोई कल्पना चावला जैसों को याद करता हैं। लेकिन हम भूल जाते है कि हमारे आस-पास भी कुछ ऐसी महिलाएं है, जो अपने शहर का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। बस हम उनके बारे मेंं जानना नहीं चाहते। क्यों ना आज हम उन्हीं में से एक अल्मोड़ा की शोभा जोशी के बारे में जाने। आपको पता है...कौन है अल्मोड़ा की शोभा..।। 



इतिहास में जब-जब अल्मोड़ा की बात होगी, तो तब-तब शोभा को जरूर याद  किया जाएगा। चाहे अल्मोड़ा की विकास की बात हो या फिर समाज सेवा के रूप मेंं गरीबों की मदद की। शोभा ने कई ऐसे काम किए है, जो हमारे समाज और हमारे युवाओं के लिए एक प्ररेणा का स्रोत है। दो बार नगरपालिका अध्यक्ष रही शोभा जोशी और पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वसूली करने वाली नगरपालिका अध्यक्ष भी बनीं। शोभा जोशी दो बार अल्मोड़ा नगरपालिका की अध्यक्ष रहीं है। पहली बार कांग्रेस से चुनाव लड़ी, तो दूसरी बार निर्दलीय चुनाव लड़कर सभी राजनैतिक पार्टियों की जमानत जप्त करा दी। जो अल्मोड़ा के राजनीति इतिहास मेंं पहली बार हुआ। शोभा जोशी ने अपने कार्यकाल में कई स्तम्भ गढ़े। जिसमें आठ मंजिला पार्किंग माल, पॉलिथिन बंद करवाये, नगरनिगम कार्यालय को धूम्रपान मुक्त कराना, और साथ ही कई ऐसे काम किये जो आज अल्मोड़ा को एक अलग पहचान देते है। शोभा अपने द्रण संकल्प से काम किया करती थी। शोभा प्रदेश की पहली महिला नगरपालिका अध्यक्ष और कौन बनेगा करोड़पति "शो" में जाने वाली प्रदेश की पहली महिला है। जो शोभा की पहचान के लिए काफी है। आज शोभा अल्मोड़ा में एक अलग पहचान रखती है। चाहे वह समाजसेवी की ही बात क्यों ना हो। शोभा "राष्ट्रीय जन सेवा समिति" नाम से एक एनजीओ चलाती है। जिसका काम है "नेकी का द्वार" मतलब गरीबों, असहाय, लोगों को मदद मुहैया करना। 

जब मैंने शोभा जोशी से पूछा उत्तराखंड में क्या-क्या समस्याएं, परेशानियां है...?  

तब शोभा जोशी कहती है- रोजगार उत्तराखंड की मुख्य चिंता है, तो नशा मुख्य चुनौती है। जिसके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए। जैसे रोजगार मुहैया कराना चाहिए, शराब बंद करनी चाहिए, शिक्षा स्तर बढ़ाना चाहिए। नशे पर ठोस कदम उठाने चाहिए। 

जब मैंने शोभा जी से पूछा- आपके मन में समाजसेवा का भाव कहां से उत्पन्न हुआ...? 

शोभा- मेरे मन में सेवा का भाव बचपन से ही था। जब मेरे पिता फ्री में लोगों का उपचार किया करते थे। क्योंकि मेरे पिता एक डॉक्टर थे। साथ ही मेरी माता जी भी मेरे पिता का पूरा साथ देती थी। तब मेरे मन में समाजसेवा का भाव उत्पन्न हुआ। जिसके बाद मैंने 18 साल की उम्र मेंं ही विवेकानंद विद्या इंटर कॉलेज, रानीखेत में दो साल तक अपनी फ्री सेवा दी। ट्यूशन से अपना खर्चा निकालती थी।

जिसके बाद मैंने शोभा जी से पूछा- कहीं आप राजनीति में  तो नहीं आना चाहती है..? और कहीं आपने एनजीओ पैसे कमाने के लिए तो नहीं बनाई है..? 

तब शोभा का जबाब था- मैंने आठ साल पहले कई राजनीति दलों का ऑफर और लाल बत्ती का ऑफर भी ठुकराया है। अगर मेरा पैसे कमाने का मकसद होता तो मैं शिक्षा विभाग में अध्यापिका की नौकरी नहीं छोड़ती।
शोभा जोशी गरीबों और असहायों की मदद करना ही अपना कर्तव्य मानती है। बचपन से ही शोभा के मन में गरीबों और असहायों के लिए कुछ करने की ललक रही है। आज शोभा जोशी को उनके काम के लिए Great India Award से लेकर कई अवार्डों से नवाजा जा चुका हैं। शोभा कहती है मैं गरीबों के लिए हमेशा खड़ी हूं...। 

                                               संपादक- दीपक कोहली  

1 comment:

  1. Really a great lady. Patrika has defined in a very proper way if she want to move in politics why should she resigned from Govt Job and why should she rejects political party even after elected twice as first lady of Almora. Hats off to Madam joshi

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