साहित्य चक्र

18 April 2017

*आत्मा*


ना मैं हिंदू, 
ना मैं सिख
मैं आत्मा हूं।

ना मैं मुस्लीम,
ना मैं इसाई
मैं तो आत्मा हूं।

ना मैं मरती,
ना मैं जलती
मैं आत्मा हूं

ना मैं कटती,
ना मैं दबती
मैं आत्मा हूं

अमर-अजर,
अविनाशी ही
मेरी पहचान है।।

               कवि- दीपक कोहली

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