साहित्य चक्र

01 March 2025

कविता- पहाड़ की पुकार





पहाड़ की पुकार सुनो,
चोटियों की ऊंचाई देखो।
हरियाली की चादर ओढ़ी,
प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है।

पहाड़ की नदियाँ बहती हैं,
पानी की धारा संगीत बनाती हैं।
पेड़ों की शाखाएँ झूमती हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराती हैं।

पहाड़ों की यादें

पहाड़ों की यादें ताज़ा हैं,
चोटियों की ऊंचाई दिल में बसी है।
हरियाली की चादर में लिपटकर,
प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव किया है।

पहाड़ों की शांति मन को भाती है,
प्राकृतिक सुंदरता से दिल भर जाता है।
पहाड़ों की यादें हमेशा रहती हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव हमेशा रहता हा।

पहाड़ की सुंदरता

पहाड़ की सुंदरता अनोखी है,
चोटियों की ऊंचाई अद्भुत है।
हरियाली की चादर ओढ़ी है,
प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है।

पहाड़ की नदियाँ बहती हैं,
पानी की धारा संगीत बनाती हैं।
पेड़ों की शाखाएँ झूमती हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराती हैं।

पहाड़ों का जादू

पहाड़ों का जादू देखो,
चोटियों की ऊंचाई में खो जाओ।
हरियाली की चादर में लिपटकर,
प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करो।

पहाड़ों की शांति मन को भाती है,
प्राकृतिक सुंदरता से दिल भर जाता है।
पहाड़ों की यादें हमेशा रहती हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव हमेशा रहता है।


                             - डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

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