परिवार के लिए क्या होती बेटियां
एक दिन मां-बाप से बेटियां जुदा हो जएगी
अभी तो छोटीहै किसी दिन बड़ी हो जाएगी
तुमको मालूम हो जाएगी उसकी हैसियत
बैठकर जिस दिन डोली में विदा हो जएगी
यून कुत्लो करो बटी का वरना बहुत पछताओगे
दुनिया बेटी नहो बहू कहां से लाओगे
इतनी नफरत है बेटी से
तुमने उसे तार दिया
बेटे होने से पहले तुमने मार दिय
प्रभु के आगे तुम ही बताओ
मुंह को दखाओगे
दुनिया बेटी नहो बहू कहां से लाओगे
जिनकी कोई औलाद नहीं है
वह कितना गम सहते हैं
कम से कम बेटी होती
रो रो के यह कहते हैं
बेटी को नावालों व सीधा नरक में जाओगे
दुनिया बेटी नहो बहू कहां से लाओगे
लड़कों से ज्यादा लडकी
मां-बापक सेवाएं करती हैं
कितना भी उसको डन्ठो
बेटी फिर भी तुम्हीं पर मरती हैं
जुर्म करोगे तुम बेटी पर
तुम खूनी कहलाओगे
दुनिया बेटी नहो बहू कहां से लाओगे
मेरी नसीहत तुम भी सुन लो
बेटी से संसार चला
बेटी से ही प्यार मिला
बेटी से घर बार चला
तुम ही समझो बेटी के जैसे
ममता कहां से लाओगे
दुनिया बेटी नहो बहू कहां से लाओगे।
- अनूप सिंह
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