दिखे जब रंगों की झलकी समझो होली आई
खड़कते दिल के दरवाजे समझो होली आई
कलियों के देखे रंग दमकते समझो होली आई
छलकते जगह-जगह जाम समझो होली आई
होते हो नाच गाने बैठकों में समझो होली आई
दिखते हो नाजो अदा समझो होली आई
गाल लाल,गुलाबी आंखें, हाथों में पिचकारी समझो होली आई
भरी पिचकारी चलें अंगिया पर समझो होली आई
सीनो से ढलके आंचल समझो होली आई
लपके जब सब दिल लेने को समझो होली आई
लचक लचक कमर चले,फड़के जब तन समझो होली आई
नैन मटकाकर नैन लड़ाए समझो होली आई
खेल रहा कीचड़ में बेताब समझो होली आई
बहक रहे सब मदहोश हो समझो होली आई
- आलोक सिंह बेताब
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रंग जमाने, गुलाल उड़ाने,
गले लगाने, सबको हँसाने,
चल देती मस्तानों की टोली,
खुशियों भरा, रंग-बिरंगा त्योहार है होली!
मीठी गुजिया, तीखा दही भल्ला,
बाहर सड़क पर, मचा हो हल्ला,
चेहरे पर सबके बनी रंगोली,
ऐसे ही तो मनाते हैं लोग प्यार से होली!
बच्चों की खरीदारी, नई पिचकारी,
गुब्बारे भरकर, कर ली तैयारी,
प्यारी लगती उनकी हँसी ठिठोली,
इनका तो पसंदीदा त्योहार है होली!
हर माता - बहन, नए वस्त्र पहन,
एक दिन पहले पूजे, होलिका दहन,
खुशियों से भर जाए उनकी झोली,
अग्नि में कष्टों को स्वाहा कर देती होली!
सच्ची मुस्कान और बनते पकवान,
घर पर आते, खूब मेहमान,
आपस मे बोलें सब प्रेम भरी बोली,
ये ही हमारी परम्परागत भारतीय होली!
रखना याद, बड़ो का आशीर्वाद,
रहेगा साथ हम होंगे आबाद,
उनको लगे हमारी सूरत भोली,
उन्ही से शुरू करनी है अपनी होली!
आएगी क्रांति जब देश मे होगी शान्ति,
अमन है ज़रूरी, ये दुनिया भी जानती,
सरहद पर चले ना, अब एक भी गोली,
तभी मनेगी हमारी असली पावन होली।
- आनन्द कुमार
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बात अलग है
क्या हुआ जो धर्म अलग है,
क्या हुआ जो जज़्बात अलग है,
एक बार प्यार और भाईचारे से गले तो मिलो,
इस रंगो वाली होली की बात अलग है।
ये हुड़दंग वाली मस्ती नहीं,
ये मनचलों वाली कृति नहीं,
यहां सिर्फ प्यार के रंग ही रंग हैं,
इन लाल गुलाबी रंगों की बात ही अलग है।
इसमें शुद्ध मनोभाव से चेहरे रंगे जाते हैं,
रंगों के प्यार से अपने रिश्ते निभाए जाते हैं,
कोई उंगली उठा के तो देखे इस त्योहार पर,
अभी तक किसी की इतनी औकात नहीं।
बच्चे रंगों की पिचकारी से सबको खूब नहलाते हैं,
औरतें गुलाल का टीका लगाकर खूब रंग उड़ाती हैं,
होली के रंगो में रंगकर सब बैर भूल जाते ,
इस प्यार भरे रंगों वाली होली की बात अलग है।
- डॉक्टर जय महलवाल
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"होली आई रे"
होली आई.....होली आई...होली आई रे
होली आई.....होली आई...होली आई रे
नीले पीले लाल गुलाबी रंगों का ये त्यौहार,
खुशियों उमंगों से भर देता है सबका संसार।
रंग बिरंगे रंगों में सबको डुबोने होली आई रे,
क्या बच्चे क्या बूढ़े सबकी बनाने टोली आई रे।
होली आई.....होली आई...होली आई रे....
रंग गुलाल से सराबोर तन मन को करेंगे,
ढोल नगाड़े की थाप में सब मिल थिरकेंगे।
गली गली में होली की हुडदंग अब मचेगी,
रंग बिरंगे रंगों से राधा गोरी की चोली सनेगी।
होली आई.....होली आई...होली आई रे....
मदमस्तों की टोली में खुशियां है छाई,
भेदभाव लड़ाई झगडे भूल जाओ भाई।
होली के रंग में खुद रंगों औरों को भी रंगा लो,
छोड़कर सारे दुख विषाद मस्ती में झूमो गा लो।
होली आई.....होली आई...होली आई रे....
ऊंच नीच अमीरी गरीबी सबको भुलाकर,
आओ सब होली मनाएं सबको गले मिलाकर।
होली के रंगों से रंग दो सभी को तुम प्यारे,
खुश होकर दुआ सच्ची देंगे तुमको बेचारे।
होली आई.....होली आई...होली आई रे....
राग द्वेष और भेदभाव की छोड़ो तुम बोली,
मिल जुलकर सतरंगी रंगों से खेलो होली।
इस होली दुश्मनी दूरियां सब तुम भूलाओ,
होली की बोली में चहुं ओर मिठास फैलाओ।।
होली आई.....होली आई...होली आई रे....
- मुकेश कुमार सोनकर
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होली कुछ ख़ास मनाते हैं
आओ दोस्तों इस वर्ष होली कुछ ख़ास मनाते हैं,
बचपन की यादों को फिर से जगाते हैं।
वह दिन भी क्या गजब के दिन थे,
जब हम छोटे छोटे नटखट बच्चे थे।
न किसी से किसी का वैमनस्य था,
रहता सबका हमेशा सामंजस्य था।
उम्र से जरूर हम कच्चे थे,
पर दिल के हम सब सच्चे थे।
सब निर्मल मन से होली खेलते थे,
एक दूसरे पर प्यार से रंग उड़ेलते थे।
अब होली में वह पहले जैसी बात नहीं,
होली में रंग तो हैं पर रंगों में जज्बात नहीं।
आओ दोस्तों फिर से ख़ुद को बहकाते हैं,
सब साथ मिलकर होली के रंगों को महकाते हैं।
फिर से होली में जज्बात भरते हैं,
जो दोस्त दूर हो गए उनको साथ करते हैं।
आज सब साथ में अपनत्व के रंग उड़ाते हैं,
फिर से बचपन वाली वह होली सजाते हैं।
आओ दोस्तों इस वर्ष होली कुछ ख़ास मनाते हैं,
बचपन की यादों को फिर से जगाते हैं।
- भुवनेश मालव
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