साहित्य चक्र

25 June 2017

* देवभूमि की एक नारी ऐसा भी....। "सुनीता"

देवभूमि उत्तराखंड की बेटियां पूरे विश्व में अपना नाम रोशन कर रही है..। कोई खेल में तो कोई सांस्कृतिक लोकगीतों में देवभूमि का नाम रोशन कर रही है..। इन्हीं में से एक नाम पौड़ी की सुनीता खरकवाल का भी है...। जो दिल्ली में रह कर देवभूमि का नाम रोशन कर रही है..। सुनीता समाजसेवा के लिए कई एनजीओ से जुड़ी हुई है..। आपको बता दूं...कि सुनीता दिल्ली पुलिस की अमन कमेटी से भी जुड़ी हुई है..। जिसमें सुनीता सहित कई लोग मिलकर जागरूकता के लिए काम करते हैं..। एनजीओ के साथ मिलकर सुनीता महिलाओं के लिए जागरूकता फैलाने का काम करती है..। सुनीता इसके अलावा और भी कामों से लोगों का दिल जीतती है। उत्तराखंड की संस्कृति के लिए सुनीता "उत्तराखंड फिल्म और नाट्य संस्थान" से भी जुड़ी हुई है..। जिसके माध्यम से देवभूमि की संस्कृति उजागर होती है..। सुनीता एक नारी होने के नाते, अपने कामों से कई महिलों की प्ररेणा स्त्रोत बनी हुई है। जिसके लिए सुनीता को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है..। जब हमने सुनीता की फेसबुक प्रोफाइल देखी और जिसके बाद जयदीप पत्रिका ने सुनीता से बात करने की कोशिश की...। तब सुनीता खरकवाल से जयदीप पत्रिका ने कुछ खास जवाब-सवाल किेये....।

आइये जानते है..सुनीता खरकवाल और जयदीप पत्रिका की खास बातचीत...।   

सवाल- आप एक नारी होने के बाद भी इतने सारे चीजों से जुड़ी है...आखिर कैसे और एक नारी के लिए यह संभव है क्या....? 
जवाब- हाँ..। अगर आपके अंदर काम करने की जिज्ञासा हो तो, सब मुमकिन है..। क्या एक नारी पुरूष के बराबर काम नहीं कर सकती..या पुरूष के बराबर नहीं चल सकती...। ऐसा कहां लिखा है, कि नारी पुरूषों के बराबर नहीं चल सकती..। हमें आगे आना होगा..और कदम पर कदम चलाने होगें..।

सवाल- आप इतने सालों से दिल्ली में है...और कभी आपने देवभूमि के बारे में भी सोचा है..? 
जवाब- हाँ..। जरूर सोचा है..। पर वहां परस्थितियां कुछ अलग है...। उन परस्थितियों को हमें पहले दूर करना होगा..। तब जाकर वहाँ कि नारी जागरूक होगीं..। 

सवाल- आप उत्तराखंड के बारे में क्या सोचती है..? वहाँ कैसे पलायन को रोका और रोजगार कैसे उत्पन्न किया जा सकता है..?
जवाब- उत्तराखंड देवभूमि है..। वहाँ हर चीज हो सकती है..। हमें कुछ मेहनत करने की जरूरत है... जिसके बाद वहाँ से पलायन रूक सकता है...और रोजगार पैदा हो सकते है..। राज्य सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए..। आखिर वह दिन दूर नहीं जब देवभूमि खाली हो जाएगी..।

सवाल- आप उत्तराखंड की महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेगी...? जिस तरह आप काम कर रही है.....क्या उत्तराखंड की और महिलाएँ भी ऐसे ही आगे बढ़ सकती हैं..?
जवाब- उत्तराखंड की महिलाएँ ही उत्तराखंड की शान है..। जो पहाड़ों में राज करती है...। अगर वहाँ की नारी काम करना छोड़ देगी..तो देवभूमि का शान खत्म हो जाएगी...। नारी ही हमारे पहाड़ की शान है..और रहेगी भी..। पहाड़ की नारी को मेरा सलाम...। बिल्कुल पहाड़ की नारी हर काम कर सकती है..। जिस तरह वो पहाड़ों में मेहनत करती है..। अगर उसे मौका दिया जाए, तो वह जरूर सफलता की बुलंदियों को छूएगी..।।

सवाल- आप हमारी जयदीप पत्रिका के माध्यम से देवभूमि के बारे में क्या कहेंगे..? और वहाँ के युवाओं को क्या संदेश देना चाहेगें..।।
जवाब- सबसे पहले देवभूमि को नमन् करते हुए...मैं वहां की संस्कृति को प्रणाम करूंगी..और उन पहाड़ों को याद करते हुए कुछ सुकून के पल महसूस करूंगी..। उसके बाद मैं जयदीप पत्रिका को धन्यवाद कहूंगी..जिसने मुझे अपने मंच पर बुलाया..। मैं वहां के युवाओं से एक ही निवेदन करूंगी...कि आप कहीं भी जाए...पर अपनी संस्कृति और मर्यादा ना भूले..। जिससे हमारी देवभूमि अपमानित ना हो..।

                                                             रिपोर्ट- दीपक कोहली   

3 comments:

  1. दीदी आपके बारे में बहुत सुना है आप नाटकीय मंचन करती हैं आप समाज सेवा से लगातार जुड़ी हुई हैं और पुलिस से जुड़ कर जनता की समस्याओं को हल करेंगी जय देव भूमि

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  2. सुनीता जी जेसे आपको प्यार से सोनी भी कहते हें अगर में सही हुँ। लेकिन नाम में क्या रखा है। नाम मायने नही रखता, काम मायने रखता हे और वो भी जो समाज के उत्थान के लिए किए जायें जो आप भरपूर करती हें। चाहे उत्तराखंड से पलायन रोकने का मुद्दा हो या उत्तराखंड की महिलाओं का उत्थान या पहाड़ की समस्याओं का निदान ईन सब में आप अग्रणी रहती हें और अपना भरपूर सहयोग देती हें। भगवान आपको शक्ती प्रदान करें।
    Ravinder Kumar Rawat

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  3. बहुत सुंदर

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