साहित्य चक्र

27 April 2017

जयपुर की मदर टैरेसा- शमशाद अली


राजस्थान की राजधानी जयपुर की मदर टैरेसा शमशाद अली..। जी हां शमशाद अली एक समाजसेवी है। जो समाजसेवा को ही अपना धर्म मानती है। बचपन से ही शमशाद अली समाजसेवा का भाव रखती आयी है। जो ये दर्शाता है, कि शमशाद अली एक कट्टर समाजसेविका है। वैसे शमशाद अली होने को एक मुस्लीम महिला है। लेकिन फिर भी अपने सामाजिक कार्यों से पूरे जयपुर में लोकप्रिय है। आपको बता दूं, शमशाद अली "ज्ञान मंदिर समिति" नाम की एक एनजीओ चलाती है। जिसकी अध्यक्ष शमशाद खुद है। जिसके माध्यम के शमशाद अली महिलाओं और गरीब बच्चों की सहायता करती हैं। अगर हम बात करें राजनीति कि, तो शमशाद अली बीजेपी पार्टी से भी संबंध रखती है। शमशाद अली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना गुरू मानती है। शमशाद अली को जयपुर की गौरक्षा वाहिनी का कार्य अध्यक्ष भी बनाया गया है। वहीं राजस्थान की राष्ट्रीय मुस्लिम महासभा की प्रदेश अध्यक्ष और "ताकत-ए-निश्वा" - जाग्रति मिशन की प्रदेश अध्यक्ष भी है शमशाद अली...।
शमशाद अली अपने- आपको गरीब-बेसहारा लोगों में देखती हैं। शमशाद अली निस्वार्थ समाजसेवा करती है। शमशाद अली को जयपुर की जनता "गरीबों की मसीहा" भी कहती है। तो वहीं कुछ लोग शमशाद को "मुसलमानों की मदर टैरेसा" भी कहते है। शमशाद जहां मुस्लिम बच्चों के लिए मदरसा, तो वहीं हिंदू बच्चों के लिए एक स्कूल भी चलाती है....। 


  • आइए जानते है...। शमशाद अली से खास सवालों के जवाब-

1-सवाल- आप अपने आप को क्या मानती है...? & समाजसेवी या फिर एक मुस्लिम महिला...?
जवाब- मैं आपने आप को एक हिन्दुस्तानी नारी और एक समाजसेवी के रूप में देखती हूं...।

2-सवाल- आपके मन में समाजसेवा का भाव कहां से उत्पन्न हुआ..
जवाब- मैं बचपन से ही देखती चली आयी हूं, कि हमारे देश और विशेषकर राज्य में कई लोग ऐसे हैं। जिन्हें एक समय का खाना तक नसीब नहीं हो पाता है...। वहीं हमारे देश की नारी हमेशा से ही उत्पीड़न का शिकार होती आई है...। जो आज भी नहीं थमा हैं...। जिससे मेरे मन में समाजसेवा का भाव बचपन से ही उत्पन्न हुआ...।  

3-सवाल- आप अपने को कहां देखती है..? 
जवाब- मैं आपने आप को गरीब- बेसहारा लोगों में देखती हूं..। क्योंकि मैं गरीब - बेसहारों की मदद करती हूं और करती रहूंगी..।   


4-सवाल- क्या आपको नहीं लगता, कि आप एक मुस्लिम लेडी होने के  बावजूद भी समाज में काफी सक्रिय है...? जो अक्सर होता नहीं है...?
जवाब- हां...ये है। मैं एक मुस्लिम लेडी होने के बावजूद भी राजस्थान जैसे प्रदेश में काफी सक्रिय हूं। जो हमारे समाज की महिलाओं के लिए एक अच्छा संकेत है। जिससे हमारे समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।  

5-सवाल- आप जयपुर को कहां आँकती है..?
जवाब- जयपुर एक साफ-सुथरा शहर है। जो आने वाले समय में देश के स्मार्ट शहरों में शुमार हो जाएगा।

6- सवाल- कहीं आप एनजीओ और समाजसेवा के माध्यम से राजनीति के जरिए पैसा तो नहीं कमाना चाहती है...?
जवाब- राजनीति से मेरा कोई मतलब नहीं है..। मैं गरीब-बेसहारा लोगों के लिए बनी हूं। उन्हीं के लिए काम करती रहूंगी...। मैं बचपन से ही समाजसेवा करती आ रही हूं..। अगर मुझे पैसा कमाना होता तो, मैं लोगों को रोजगार मुहैया नहीं कराती..। हमारी एनजीओ गरीब- बेसहारों को रोजगार मुहैया करती है। 

7-सवाल- आप अपनी पहचान के लिए सरकार से क्या चाहती है..?
जवाब-  बस थोड़ा-सा सम्मान और थोड़ी-सी पहचान..।

8-सवाल-  मेरा आपसे अंतिम सवाल है...। आप देश के युवा और नारी सशक्ति के लिए क्या संदेश देना चाहेगी...?
जवाब- मैं युवाओं और महिलाओं से कहना चाहूंगी, कि आप समाज में आपनी भागीदारी बढ़ाए, और देश के विकास में समाज के साथ चलें..।   


                                                                       रिपोर्ट- दीपक कोहली

23 April 2017

मोदी का आदर्श गांव - जयापुर

                                

सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया था। जी हां...।  बनारस से 20 किलोमीटर दूर जयापुर गांव पीएम मोदी का आदर्श गांव है। जिसे सांसद नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। जो पीएम नरेंद्र मोदी की एक विशेष योजना है। जिसके तहत पीएम मोदी ने अपने सभी सांसदो को निर्देश दिये है, कि सभी सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में किसी एक गांव को आदर्श गांव के रूप में गोद लें और उस गांव का विकास करें। वैसे जब से पीएम मोदी ने जयापुर गांव को गोद लिया है, तब से जयापुर गांव की तस्वीर बदलती दिख रही है। इस गांव का हर एक अखिलेश (युवा), पीएम नरेंद्र मोदी की तरह प्रधानमंत्री बनना चहता हैं। जब मैंने इस गांव के बारे में सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों और अखबारों में देखा और पढ़ा तो, तब मैंने भी इस गांव से जुड़ने की कोशिश की....। 
इस गांव को पीएम मोदी ने 7 नवम्बर 2014 मेंं सांसद आदर्श गांव योजना के तहत गोद लिया। जिसके बाद से पीएम मोदी ने इस गांव की दशा बदल दी। यानि जयापुर गांव में विकास की बारिश शुरू हो गई। जिसके तहत 
आज जयापुर गांव के प्रत्येक घर में शौचालय है। जयापुर गांव में खुले में शौच करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यहीं नहीं अगर जयापुर गांव में कोई खुले में शौच करता पाया गया या पकड़ा गया, तो उससे 500 रूपये जुर्माने के तौर पर वसूले जाते हैं। यह नियम गांव की पंचायत के फैसले से बना है। जिससे गांव की स्वच्छता बरकरार रखने के लिए बनाया गया है। जयापुर गांव की आबादी लगभग चार हजार से अधिक है। गांव में बिजली, पानी की समस्या सबसे बड़ी थी। लेकिन जब सांसद आदर्श गांव योजना के तहत पीएम मोदी ने जयापुर गांव को गोद लिया, तो तब से सभी समस्याओं में काम हो रहा है। जयापुर गांव में सांसद आदर्श गांव योजना के तहत 25-25 किलो वाट के दो सोलर प्लांट लग चुके है और घर-घर में बिजली पहुंचने का कार्य चल रहा है। वहीं दो लाख लीटर की पानी की टंकी का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। गांव में रंगीन ईटों की सड़क बन हुई है, तो वहीं केंद्र सरकार की तरफ से गांव में तीन बुनाई केंद्र खोले गए है। जिसमें 50 से ऊपर महिलाएं रोजना प्रशिक्षण देती है और आपने घर चलती है। वहीं जयापुर गांव को अब कैशलेस बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।    


                                            रिपोर्ट- दीपक कोहली

18 April 2017

*आत्मा*


ना मैं हिंदू, 
ना मैं सिख
मैं आत्मा हूं।

ना मैं मुस्लीम,
ना मैं इसाई
मैं तो आत्मा हूं।

ना मैं मरती,
ना मैं जलती
मैं आत्मा हूं

ना मैं कटती,
ना मैं दबती
मैं आत्मा हूं

अमर-अजर,
अविनाशी ही
मेरी पहचान है।।

               कवि- दीपक कोहली

13 April 2017

क्यों बाबा साहब का सपना रहा अधूरा....।



बाबा साहब को तो आप जानते ही होंगे..। जिन्होंने देश के संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज हम जिस संविधान की तारीफ करते है या फिर बुराई करते है। वो संविधान किसी और ने बल्कि बाबा साहब ने ही बनाया। बाबा साहब वो व्यक्ति है, जिन्होंने देश की नारी शक्ति को उसके अधिकार दिए या महिलाओं को एक अलग महाशक्ति दी। जिससे आज हमारे देश की महिलाओं को हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने की आजादी हैं। इतना ही नहीं जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तो बाबा साहब देश की मूल कमियों को दूर करने के बारे में सोच रहे थे। अंबेडकर चाहते थे, कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर विश्व के सामने आये। जिससे हमारा देश अमेरिका से भी शक्तिशाली हो। लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य था , कि बाबा साहब इसे पूरा नहीं कर पाए। आज मैं आपको उन बातों से परिचित करवाऊगां...। जिनके कारण आज हमारा देश इतना पीछे छूट गया। बाबा साहब वो व्यक्ति थे , जिनके साथ पूरा जीवन संघर्ष होता रहा। कभी उन्हें पानी पीने से रोका गया, तो कभी उन्हें स्कूल में बैठने से रोका गया..। जो हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा..। जिसके कारण हमारा देश आगे नहीं बढ़ सका, बस जातिवाद और भेदभाव में ही अटका रहा। जो आज भी देश के विकास में रोढ़ा पैदा करता है। मेरा मकसद किसी समाज को ठेस पहुंचाना नहीं है। मैं उन मुद्दों पर चर्चा कर  रहा हूं, जो आज भी नीचले समुदाय के लोगों के साथ होता रहता है। अब आप समझ गए होंगे, कि आखिर मैं किन मुद्दों की बात कर रहा हूं। वैसे आपको ये सारी बातें बकवास लग रहीं होगीं। या मेरा सोचने का तरीका सही नहीं लग रहा होगा। लेकिन ये सत्य है, कि आज भी हमारा देश जातिवाद से जकड़ा हुआ है। जिससे हमारा देश पिछड़ता जा रहा हैं। यहीं कारण है, कि बाबा साहब का सपना पूरा नहीं हो पा रहा। बाबा साहब चाहते थे, कि हमारा देश जातिवाद शब्द से मुक्त हो जाए और विश्व में एक मिसाल बनकर सामने आये। जिससे हमारा देश धर्म-जाति निरपेक्ष पूर्ण रूप से बन जाए। आज हमारे देश में धर्मवाद एक राजनीति मुद्दा बना हुआ है। जो अपने- आप में क्षिण है।    
उम्मीद करता हूं , बाबा साहब का यह सपना जरूर सच हो....।। जय भीम जय भारत...।। 

                                                                    संपादक- दीपक कोहली

12 April 2017

दून का अर्जुन- समाजसेवक.... कोहली।


जब - जब देवभूमि की बात होगी, तब-तब वहां के लोगों का बात जरूर होगी। जी हां...। उन्हीं लोगों में से एक है..। देहरादून के अर्जुन लाल कोहली है। जो देहरादून के प्रेमनगर में रहते है। जो एक रिटायर्ड अध्यापक के साथ-साथ एक समाजसेवक भी है। उत्तराखंड के सहसपुर, गुरू राम राय इंटर कालेज में एक अध्यापक पद से रिटायर्ड हुए अर्जुन लाल। समाज से कुरीतियों को समाप्त करना ही अर्जुन अपना कर्तव्य मानते हैं। अर्जुन लाल कोहली ने देश के लिए 38 साल शिक्षा सेवा दी। वैसे अर्जुन कोहली जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, के अध्यापक थे। जिसके बाद अर्जुन ने समाजसेवा की ओर कदम बढ़ाया। आज अर्जुन देहरादून के प्रेमनगर में एक अलग नाम और पहचान से जाने जाते है। कई संस्थाओं के लिए अर्जुन मुफ्त काम करते है। जैसे वृद्धों की कांउसिलिंग करना, लोगों को सरकारी योजनाओं के बार में जानकारी देना,  सरकारी कामों में जनता की मदद करना, आदि अर्जुन आपना पेशा समझते है। समाजसेवक ही नहीं अर्जुन उत्तराखंड के 21-कैंट विधानसभा  के सोशल मीडिया प्रभारी भी बनाए गए है। जहां से हरबंस कपूर अभी विधायक है।

आइये जानते है अर्जुन लाल की बातें-

1-जब हमने अर्जुन लाल कोहली से उनके बारे में जानने की कोशिश की, कि आखिर वो एक अध्यापक से एक समाज सेवक कैसे बनें..?

अर्जुन लाल- मुझे समाज से वो कुरीतियां साफ करनी है, जो इंसानों में फर्क करते हैं। देवभूमि से शराब, नशा, सारी गंदगी दूर करनी हैं। जिससे हमारा समाज साफ हो सके।

2- हमारा दूसरा सवाल- आपने 38 साल शिक्षा के क्षेत्र में देश की सेवा की क्या, आपको नहीं लगता कि अब आपकी उम्र हो गई है....?

अर्जुन लाल- हां उम्र तो हो गई...। लेकिन जज्बा अभी बाकी है।  मैं युवाओं के लिए एक मिसाल पैदा करना चाहता हूं। जिससे हमारे युवा कुछ सीख लें।
3- हमारा तीसरा सवाल- आप युवाओं के लिए हमारी जयदीप पत्रिका के माध्यम से क्या संदेश देना पंसद करेंगे....?

अर्जुन लाल- मैं युवाओं से कहूंगा कि, हमारी पिछली पीढ़ी से सीख लें, और नशे-गंदे कामों से दूर रहें।

4- हमारा चौथा सवाल- आप सोशल साइट, सोशल मीडिया के बारे में क्या कहेंगे...?
अर्जुन लाल- सोशल साइट एक बेहतरीन माध्यम तो है, लेकिन जब इसका सही तरीके से इस्तेमाल हो। आज सोशल साइट समाज में बदलाव ला रहा है। बस इसका प्रयोग सही ढंग से हो।

5- हमारा पांचवां सवाल- आप दून के बारे में क्या कहेंगे...?

अर्जुन लाल- देहरादून शिक्षा के क्षेत्र में आगे तो बढ़ रहा है, लेकिन यहां का युवा दिन- पे- दिन बिगड़ता जा रहा है। जो एक चिंता का विषय है।

6- हमारा अंतिम सवाल- आज के समाज के बारे में आप क्या सोचते है...?

अर्जुन लाल- आज का व्यक्ति अकेला रहना पंसद कर रहा है। हमें अपने बच्चों से कोई इच्छा नहीं रखनी चाहिए।

                                    रिपोर्ट- दीपक कोहली 


03 April 2017

अल्मोड़ा की शोभा- जोशी




जब हम किसी नारी की बात करते है, तो कोई इंदिरा गांधी, और कोई कल्पना चावला जैसों को याद करता हैं। लेकिन हम भूल जाते है कि हमारे आस-पास भी कुछ ऐसी महिलाएं है, जो अपने शहर का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। बस हम उनके बारे मेंं जानना नहीं चाहते। क्यों ना आज हम उन्हीं में से एक अल्मोड़ा की शोभा जोशी के बारे में जाने। आपको पता है...कौन है अल्मोड़ा की शोभा..।। 



इतिहास में जब-जब अल्मोड़ा की बात होगी, तो तब-तब शोभा को जरूर याद  किया जाएगा। चाहे अल्मोड़ा की विकास की बात हो या फिर समाज सेवा के रूप मेंं गरीबों की मदद की। शोभा ने कई ऐसे काम किए है, जो हमारे समाज और हमारे युवाओं के लिए एक प्ररेणा का स्रोत है। दो बार नगरपालिका अध्यक्ष रही शोभा जोशी और पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वसूली करने वाली नगरपालिका अध्यक्ष भी बनीं। शोभा जोशी दो बार अल्मोड़ा नगरपालिका की अध्यक्ष रहीं है। पहली बार कांग्रेस से चुनाव लड़ी, तो दूसरी बार निर्दलीय चुनाव लड़कर सभी राजनैतिक पार्टियों की जमानत जप्त करा दी। जो अल्मोड़ा के राजनीति इतिहास मेंं पहली बार हुआ। शोभा जोशी ने अपने कार्यकाल में कई स्तम्भ गढ़े। जिसमें आठ मंजिला पार्किंग माल, पॉलिथिन बंद करवाये, नगरनिगम कार्यालय को धूम्रपान मुक्त कराना, और साथ ही कई ऐसे काम किये जो आज अल्मोड़ा को एक अलग पहचान देते है। शोभा अपने द्रण संकल्प से काम किया करती थी। शोभा प्रदेश की पहली महिला नगरपालिका अध्यक्ष और कौन बनेगा करोड़पति "शो" में जाने वाली प्रदेश की पहली महिला है। जो शोभा की पहचान के लिए काफी है। आज शोभा अल्मोड़ा में एक अलग पहचान रखती है। चाहे वह समाजसेवी की ही बात क्यों ना हो। शोभा "राष्ट्रीय जन सेवा समिति" नाम से एक एनजीओ चलाती है। जिसका काम है "नेकी का द्वार" मतलब गरीबों, असहाय, लोगों को मदद मुहैया करना। 

जब मैंने शोभा जोशी से पूछा उत्तराखंड में क्या-क्या समस्याएं, परेशानियां है...?  

तब शोभा जोशी कहती है- रोजगार उत्तराखंड की मुख्य चिंता है, तो नशा मुख्य चुनौती है। जिसके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए। जैसे रोजगार मुहैया कराना चाहिए, शराब बंद करनी चाहिए, शिक्षा स्तर बढ़ाना चाहिए। नशे पर ठोस कदम उठाने चाहिए। 

जब मैंने शोभा जी से पूछा- आपके मन में समाजसेवा का भाव कहां से उत्पन्न हुआ...? 

शोभा- मेरे मन में सेवा का भाव बचपन से ही था। जब मेरे पिता फ्री में लोगों का उपचार किया करते थे। क्योंकि मेरे पिता एक डॉक्टर थे। साथ ही मेरी माता जी भी मेरे पिता का पूरा साथ देती थी। तब मेरे मन में समाजसेवा का भाव उत्पन्न हुआ। जिसके बाद मैंने 18 साल की उम्र मेंं ही विवेकानंद विद्या इंटर कॉलेज, रानीखेत में दो साल तक अपनी फ्री सेवा दी। ट्यूशन से अपना खर्चा निकालती थी।

जिसके बाद मैंने शोभा जी से पूछा- कहीं आप राजनीति में  तो नहीं आना चाहती है..? और कहीं आपने एनजीओ पैसे कमाने के लिए तो नहीं बनाई है..? 

तब शोभा का जबाब था- मैंने आठ साल पहले कई राजनीति दलों का ऑफर और लाल बत्ती का ऑफर भी ठुकराया है। अगर मेरा पैसे कमाने का मकसद होता तो मैं शिक्षा विभाग में अध्यापिका की नौकरी नहीं छोड़ती।
शोभा जोशी गरीबों और असहायों की मदद करना ही अपना कर्तव्य मानती है। बचपन से ही शोभा के मन में गरीबों और असहायों के लिए कुछ करने की ललक रही है। आज शोभा जोशी को उनके काम के लिए Great India Award से लेकर कई अवार्डों से नवाजा जा चुका हैं। शोभा कहती है मैं गरीबों के लिए हमेशा खड़ी हूं...। 

                                               संपादक- दीपक कोहली