मेरी सास कभी मेरी माँ न बन सकी!
जिस बहू को बेटी बनाना था,
उसकी कभी माँ न बन सकी!
मेरी सास कभी मेरी माँ न बन सकी!
बहू की आँखों में थे आँसू,
वो लेकिन उसके आँसू न पढ़ सकी
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
सब नाते तोड़ कर आई वो, जिन रिश्तों के लिए...
वो उस लड़की के जज़्बात न समझ सकी
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
जो लड़ जाती हर किसी से
छोटी-छोटी बात पर, अपनों के लिए
वो उसका झिड़कना न समझ सकी
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
एक अल्हड़, मनमौजी, मस्ती में रहने वाली ने,
हँसकर उनके घर की ज़िम्मेदारियाँ उठा लीं,
वो इस बात को भी न समझ सकी!
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
बड़े-बड़े दुखों को मुस्कुरा कर सहने वाली,
वो जिस बात पर फफक कर रो पड़ी,
वो इस राज़ को न समझ सकी!
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
वो ज़रूरत पर उनके बेटे की माँ भी बन गई..
पर अफ़सोस, वो उसकी ठीक से सास भी न बन सकी!
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
वो बहू तो ले आई बेटी कहकर,
मगर वो अपनी बहू में बेटी न तलाश सकी
मेरी सास...कभी मेरी माँ न बन सकी!
मेरी सास कभी मेरी माँ न बन सकी!
मेरी सास कभी मेरी माँ न बन सकी!
- अपर्णा सचान