साहित्य चक्र

20 April 2023

कविताः तेरा साथ अलग बात है





जब पूरी धरा भी अगर साथ दे तो अलग बात है
पर तू जो जरा भी मेरा साथ दे तो अलग बात है।

राह ए मुश्किल में जो तन्हा चलूँ तो अलग बात है
पर ग़र तू साथ चले तो राह आसान हो अलग बात है। 

वैसे तो मैं रोज ही तेरे लिए संवरती हूँ अलग बात है
पर जो तू जिस रोज नजर भर निहार ले अलग बात है।

हालातों से तो हर वक्त लड़ा करती हूँ अलग बात है
पर तू जो साथ दे तो हालात ही बदल जाए अलग बात है

खुद को महकाने के लिए रोज इत्र लगाते हैं अलग बात है
पर तुम्हारे होने से तो जीवन ही महक उठा है अलग बात है।

यूँ तो हम रोज ही हँसते खिलखिलाते है ये अलग बात है
पर जो एक बार मुस्कुरा से साथ मेरे तो ये अलग बात है।

यूँ तो हर पल हर पथ पर एक इम्तिहान है अलग बात है
पर जिस रोज तेरे इंतज़ार की इम्तिहान हो अलग बात है।

यूँ तो दोस्तों की महफिल चले साथ साथ तो अलग ही बात है 
पर ग़र तू जो चले साथ साथ मेरे वो महफिल अलग बात है। 


                                 - दुर्गेश नन्दिनी नामदेव 



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