हिचकियों के सिलसिले थमने का नाम नहीं लेते,
शायद आज भी कोई शिद्दत से याद करते है।
जिसकी हर सांँस में, एहसास बनकर घुली थी मैं,
शायद आज वह मोहब्बत की बात कर रहे हैं।
यकीन है मेरा जिक्र कर, आज भी वह दिल से मुस्कुरातें होंगे,
पैमाने की गर बात करूंँ, घूंट पानी की ही लगाते होंगे।
हमारी कमी का एहसास, कभी फुर्सत में याद कीजिएगा,
हम तो हर पल याद करेंगे, हिचकियाँ आए तो माफ कीजिएगा।
सिर्फ लफ्जों की नहीं, तेरी रूह से रूह तक, रिश्ता है
हर लम्हें, हर हाल में आएगी तुझे हिचकियाँ,
तू जिंदगी का एक अहम हिस्सा है मेरा।
लेखिका- रत्ना मजूमदार
No comments:
Post a Comment