साहित्य चक्र

17 December 2021

कविताः राम भजन




श्रीराम के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

श्रीराम हैं मुक्तिदाता,
माता जानकी है भाग्यविधाता।
ऐसे प्रभु के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

जिनके सुमिरन से जीवन तर जाता,
जिनके आशीष से सौभाग्य मिल जाता।
ऐसे प्रभु के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

श्रीराम दुलारे हैं,
अपने भक्तों के रखवाले हैं।
माता जानकी प्यारी है, 
सुख-समृद्धि देने वाली है।
ऐसे प्रभु के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

कौशल्या के आँखों के तारें,
दशरथ नंदन राम दुलारे।
जिन्होंने रावण संहारा है,
जन संताप निवारा है।
ऐसे प्रभु के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

जिसने प्रभु श्रीराम को पुकारा है,
श्रीराम ने उसे भवसागर से तारा है।
ऐसे प्रभु के चरण में चलो,
सियाराम के शरण में चलो।

ये है मेरी नई कृति,
सियाराम के चरणों में समर्पित।
जय श्रीराम, जय -जय राम,
जय-जय राम,जय श्रीराम।
   
                                कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'


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