साहित्य चक्र

26 May 2017

इंडिया का ओरिगेमी - "आयुष"

नाम - आयुष गुप्ता, पेशा- इंजीनियर और इंडियन ओरिगेमी।  जी हां सही सुना और सही पढ़ा..।। 

उत्तरप्रदेश के बरेली जिले के बड़ी बमनपुरी के रहने वाले है आयुष गुप्ता..। अपनी ओरिगेमा कला के लिए पूरे देश में लोकप्रसिद्ध है। हर अखबार में आयुष छाये हुए है। चाहे दैनिक जागरण हो या फिर हिंदुस्तान...।।

ओरिगेमी कला का माहिर आयुष गुप्ता...। कागजों व पुराने नोटों को एक नया रूप देना आयुष का पेशा है।
होने को आयुष एक इंजीनियर भी है..। देश का नाम रोशन करना आयुष की हिदायत में है। ओरिगेमी कला यानि कागजों को फोल्ड कर उन्हें एक आकृति देना ही ओरिगेमी कला है। वैसे ओरिगेमी शब्द जापान का है। जिसका मतलब होता है। ओरू- फोल्ड और केमी- कागज , पेपर को फोल्ड करना। 

आपको बता दूं..कि आयुष पेशे से एक इंजीनियर है। जो दो बार आईआईटी कानपुर और एक बार आईआईटी गुहावटी में राष्ट्रीय रोबोटिक चैम्पियनशिप जीत चुके है। आयुष बचपन से ही इस ओरिगेमी कला से प्रेरित थे। आयुष अपनी कला से कई रिकॉर्ड दर्ज कर चुके हैं। चाहे अंग्रेजी के शब्द लिखना हो या फिर उर्दू शब्दों को ओरिगेमी कला में संजोना..आयुष की हिदायत में है। आयुष देश के पहले और एक मात्र ऐसे ओरिगेमी कलाकर है, जिनका नाम- "इंडिया बुक रिकॉर्डस" में दर्ज है। मात्र 22 साल में ही आयुष ने यह कारनामा किया है।
आयुष अपनी ओरिगेमी कला से कलाम साहब को भी श्रद्धांजलि दे चुके है। कई राजनायकों और कवियों का भी नाम लिख उन्हें दे चुके हैं।
वैसे यह कला जापान की संस्कृति मानी जाती है। जापान ही इस कला का जन्मदाता है..। इस कला को पेपर फोल्ड कला भी कहते है। इतना ही नहीं यह कला यूरोप के कई देशों में आज भी जाकृति है। इस कला के माध्यम से आयुष पूरे विश्व में अपना लोहा मनवाना चाहते है।    



  • आइये जानते है...आयुष गुप्ता से खास सवालों के जवाबः-


सवालः-  आपको इस कला का ज्ञान कहा से मिला और कैसे मिला..?
जवाबः- मुझे इस कला के बारे में सबसे पहले बचपन में स्कूल में पता चला। जब हम कागज मोड़ कर कुछ बनाने की कोशिश करते थे...। जिससे बाद मैं धीरे- धीरे इस कला के बारे में जानने की कोशिश करने लगा। जब मेरा इंजीनियरिंग का द्वितीय वर्ष था, तब मुझे इस कला का नाम पता चला। तब तक मैं कॉफी आगे निकला चुका था...।।

सवालः- आप एक इंजीनियर है, इसके बावजूद भी आप इस कला में रूचि रखते है। इसका क्या कारण है..?
जवाबः- हां मैं एक इंजीनियर हूं..। लेकिन जरूरी नहीं है, कि मैं इंजीनियर ही रहूं। मुझे अपनी ओरिगेमी कला से एक मुकाम पाना है। मुझे इस कला को पूरे भारत सहित पूरे विश्व में एक नई पहचान देनी है। मैं चाहता हूं कि यह कला हमारे देश ही नहीं पूरे विश्व में एक अलग हुन्नर पैदा करें। जिससे युवाओं में इस कला के प्रति एक नया जोश और जज्बा पैदा हो..। जो इस कला के साथ - साथ हमारे युवाओं के लिए भी बेहतर होगा। आजकल का युवा देखा देखी कर रहा है। जो सरासर गलत दिशा है..। उसे अपने मन की करनी चाहिए....। चाहे वह कुछ भी करें - इंजीनियरिंग करें या फिर डॉक्टरी...।।

सवालः- आपने इतने सारे रिकॉर्ड अपने नाम  किये है। आपको कैसा लगता है..?
दवाबः- मैं कुछ नया और अलग करना चाहता हूं। मुझे रिकॉर्डों से कोई मतलब नहीं हैं। मैं अपने लक्ष्य के लिए काम करूंगा और करता रहूंगा। चाहे मुझे पहचान ना मिले..। मैं पहला और एक मात्र ऐसा ओरिगेमी कलाकर हूं, जिसका नाम "इंडिया बुक रिकॉर्डस" में दर्ज है। जब लोग मेरे से बोलते है, कि आपने तो कई रिकॉर्ड दर्ज किए है। तब मुझे अपने आप पर सम्मान के साथ -साथ गर्व महसूस होता है...।।

सवालः- आप इस ओरिगेमी कला को लेकर क्या कहेंगे..?
जवाबः- ओरिगेमी कला एक बहुत पुरानी कला है। जो जापान से विकसित हुई थी। आज भी कई देशों में ओरिगेमी कला का प्रदर्शन किया जाता हैं। जापान में सबसे ज्यादा ओरिगेमी कला का प्रदर्शन - प्रयोग होता है..।
जापान ही ओरिगेमी का जन्मदाता है..।।

सवालः- आप इस कला को भारत में कैसे आगे लाना चाहिगे..?
जवाबः- मैंने अभी हाल ही में इस कला पर एक बुक लिखी है। जो इस कला को प्रदर्शित करता है। अगर कोई मेरे माध्यम से इस कला को सीखना चाहे, तो मैं उसे सबसे पहले अपनी बुक पढ़ने के लिए बोलूंगा। क्योंकि मैंने अपने सारे अनुभव अपनी किताब में सांझा किए हैं। इस कला को भारत में लाने के लिए मैं दिन-रात काम कर रहा हूं। जो कुछ ही सालों में आपके सामने होगा..।।

सवालः- आप युवाओं से इस कला के बारे में क्या करना चाहोगें..?
जवाबः- ओरिगेमी कला एक अलग और बहुत ही मजेदार है। कागजों और पुराने नोटों को एक अलग पहचान देना ही,  अपने - आप में काफी रोचक हैं...। मैं चाहता हूं कि, मेरे देश का हर युवा इस कला को सीखें और इसे पूरी दुनिया में एक अलग रंग दें..।।

सवालः- आप हमारी पत्रिका के माध्यम से देश को संदेश देना चाहोंगे..?
जवाबः- सबसे पहले मैं.. । जयदीप पत्रिका को धन्यवाद कहना चाहूंगा..। जिसने मुझे आपने मंच पर आमंत्रित किया..। मैं कोई नेता-अभिनेता नहीं, जो देश को संदेश दूंगा..। लेकिन फिर भी दो शब्द कहूंगा..। अपनी मन की करें, और दिल की सुनें..।। मैं एक कलाकार हूं, अपनी कला से ही देश को संदेश दूंगा.और देता रहूंगा..।। धन्यवाद...।।

  

                                                               रिपोर्ट- दीपक कोहली

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