* इंसान *
आखिर क्या है..? इंसान..।।
अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी और
कितना भी गिर सकता है। इंसान..।।
यह मेरे लिए एक नया अनुभव और
निराला जरूर है... कि इंसान के कई
रूपों से मेरा परिचय हो चूका हैं..।।
एक रूप और सही...। क्योंकि
इंसान का जीवन सीखने
के लिए ही बना हैं।।
मैं कई बार सोचता हूं..।आजकल इंसान कितना बदल गया हैं...।
जीने का तरीका बदला,
बदल गई इंसान की जिंदगी...।।
ना वर्तमान देखता, ना भूत याद करता...।
बस भविष्य की चिंता में डूबा रहता है..।।
ये इंसान...।।
दीपक कोहली
आखिर क्या है..? इंसान..।।
अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी और
कितना भी गिर सकता है। इंसान..।।
यह मेरे लिए एक नया अनुभव और
निराला जरूर है... कि इंसान के कई
रूपों से मेरा परिचय हो चूका हैं..।।
एक रूप और सही...। क्योंकि
इंसान का जीवन सीखने
के लिए ही बना हैं।।
मैं कई बार सोचता हूं..।आजकल इंसान कितना बदल गया हैं...।
जीने का तरीका बदला,
बदल गई इंसान की जिंदगी...।।
ना वर्तमान देखता, ना भूत याद करता...।
बस भविष्य की चिंता में डूबा रहता है..।।
ये इंसान...।।
दीपक कोहली
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