भारत में अगले साल आम चुनाव होने वाले है। जिसकी शुरुआत विपक्षी दलों ने पटना मे बैठक से कर दी है। विपक्षी की इस बैठक में तमाम राजनीतिक पार्टियां एक मंच पर दिखी हैं। चाहे आम आदमी पार्टी हो या फिर तृणमूल कांग्रेस, 1-2 विपक्षी पार्टियों को छोड़कर लगभग इस बैठक में सभी विपक्षी पार्टियां शामिल थी। इस बैठक को सफल बनाने में नीतीश कुमार से लेकर तेजस्वी यादव ने अहम योगदान दिया है। इस बैठक से यह भी साफ हो गया है कि आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ेगी।
फोटो सोर्स- गूगल |
वर्तमान में विपक्ष को देखा जाए तो विपक्ष सत्ता पक्ष से काफी कमजोर नजर आता है। बिना विपक्ष का लोकतंत्र कमजोर होता है। विपक्ष का मजबूत होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सत्ता में बैठी पार्टी मनमानी करने से बचती है। अब देखने वाली बात रहेगी कि पटना की यह बैठक भारतीय राजनीति में कितना बदलाव लाती है।
सत्ता पक्ष ने जिस तरीके से विपक्ष की इस बैठक पर हमला किया है, उससे यह साफ कहा जा सकता है कि विपक्ष की इस बैठक से सत्तापक्ष डरा जरूर है। भले ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इसे शेर के खिलाफ गीदड़ की एकता कह रही हो या सत्ता पक्ष के अन्य राजनेता इस मीटिंग का मजाक बना रहे हो। इस बैठक के माध्यम से विपक्ष ने अपनी एकता का संदेश देश की जनता के बीच रखा है। देश की जनता विपक्ष की एकता को कैसे लेती है, यह भी देखने वाली बात रहेगी। जिस जनता ने 2014 में महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए की सत्ता उखाड़ फेंकी। क्या उस जनता को वर्तमान सरकार की महंगाई और भ्रष्टाचार 2024 में दिखाई देगा ? 2024 में जनता एनडीए (भाजपा) से जवाब मांगेगी ? या फिर जनता धर्म और संप्रदाय के नशे में दोबारा से एनडीए (भाजपा) को सत्ता में बैठाएगी ?
- दीपक कोहली
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